अब जब बात खुल ही गई थी, तो मैंने अपने आपको मामी के साथ चिपका लिया.. उनका अमृत-कलश बड़े प्यार से अपने दोनों हाथों में पकड़ कर दबाया और निप्पल मुँह में ले कर चूसने लगा। मैं मम्मा चूसने और दबाने दोनों के मज़े ले रहा था। मामी मेरे सर में हाथ फेर रही थीं.. उसने अपना बदन ढीला छोड़ रखा था और वो टीवी भी नहीं देख रही थीं।
मैंने मौक़ा देख कर एक हाथ उसके कूल्हे पर रखा और धीरे-धीरे हाथ उसकी पीठ पर से उसके ब्रा के हुक पर ले गया और धीरे से दबा कर हुक खोल दिया। मामी ने मेरे सर पर हाथ मारा- शैतान.. ये क्या कर रहा है.. ब्रा क्यों खोली तुमने? ‘अरे मामीज़ी.. थोड़ा टाइट सा लग रहा था.. इसलिए और एक बात बताऊँ.. आज मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार किसी की ब्रा खोली है..
जब मेरा हाथ आपकी ब्रा के हुक पर गया तो मैं ये अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.. इसलिए हुक खोल दिया।’ मामी सिर्फ़ मुस्कुरा दीं और मैं बोला- थोड़ा और पी लूँ? तो उसने कहा- क्यों भूखा है क्या? अभी तो खाना खाया था… मैं बोला- वो तो कब का हज़म हो गया.. अब फिर से भूख लग गई है।
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ये कह कर मैंने फिर से उसका स्तन मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि छोटू दूध पीकर सो गया है और निप्पल भी उसके मुँह से निकल गया है। मैंने मामी से कहा- मामी ज़ी.. अब आप सीधी हो कर लेट जाओ प्लीज़.. मामी ने छोटू को देखा.. वो सो चुका था।
मामी सीधी हो गईं.. तो मैंने उसकी ब्रा (aunty ki bra) और नाईटी बिल्कुल ऊपर तक उठा दीं।
‘शैतान.. ये क्या कर रहा है.. ब्रा क्यों खोली तुमने..?’ ‘अरे मामीज़ी.. थोड़ा टाइट सा लग रहा था.. इसलिए और एक बात बताऊँ.. आज मैंने अपनी ज़िंदगी में पहली बार किसी की ब्रा खोली है.. जब मेरा हाथ आपकी ब्रा के हुक पर गया तो मैं यह अवसर छोड़ना नहीं चाहता था.. इसलिए हुक खोल दिया।’
मामी सिर्फ़ मुस्कुरा दीं और मैं बोला- थोड़ा और पी लूँ? तो उसने कहा- क्यों भूखा है क्या..? अभी तो खाना खाया था… मैं बोला- वो तो कब का हज़म हो गया.. अब फिर से भूख लग गई है। यह कह कर मैंने फिर से उसका स्तन मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। मैंने देखा कि छोटू दूध पीकर सो गया है और निप्पल भी उसके मुँह से निकल गया है। मैंने मामी से कहा- मामी ज़ी.. अब आप सीधी हो कर लेट जाओ प्लीज़..।
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मामी ने छोटू को देखा.. वो सो चुका था। मामी सीधी हो गईं.. तो मैंने उसकी ब्रा और नाईटी बिल्कुल ऊपर तक उठा दीं। अब वो पेट से ले कर कंधों तक मेरे सामने नंगी थी। मैंने उसके दोनों स्तन अपने हाथों में पकड़ लिए और दबा-दबा कर उनसे खेलने लगा.. कभी ये स्तन चूसता तो कभी वो.. कभी दबाता तो कभी चाट लेता… मामी चुपचाप मुझे देख रही थीं। मैंने नज़र उठा कर मामी की तरफ देखा, उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे..
वो शांत चित्त हो कर लेटी हुई थी। मैं उसकी आँखों में और वो मेरी आँखों में देख रही थी। मेरे मन का शैतान पूरी तरह से जाग चुका था.. मैं धीरे से आगे बढ़ा और मामी के होंठों पर हल्के से चूम लिया.. सिर्फ़ ये देखने के लिए कि कहीं वो बुरा तो नहीं मानती। उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने दोबारा चूमा। उसके बाद 5-6 बार चूमा और अपने हाथों से उसके मम्मे दबाता रहा। उसके बाद तो मामी ने मेरा सर पकड़ा और मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए।
मैंने उसका नीचे वाला होंठ मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। फिर होंठ छोड़ दोनों के मुँह आपस में जुड़ गए। मामी ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी.. मेरे लिए ये मजा भी नया था.. पर मज़ेदार था। मैंने भी साथ दिया.. फिर तो कभी मैं उसकी जीभ चूसता तो कभी वो मेरी जीभ चूसती। अब मैंने आगे बढ़ने की सोची.. मैंने अपना बायाँ हाथ सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया, तो उसने और ज़ोर से मुझे अपने से भींच लिया।
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मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया और कहा- मामी ज़ी ये नाईटी उतार दो.. ये बीच में फँस रही है। ‘पहले तो तू मुझे ‘मामी ज़ी’ मत बोल, पिंकी कह और अगर ब्रा खुद खोल सकता है.. तो नाईटी भी खुद ही उतार ले..’ मैंने बोला- पिंकी से लगता है जैसे व्बॉय-फ्रेण्ड और गर्ल-फ्रेंड हों.. पर मैं तो इन्सेस्ट (रिश्तों में चुदाई) का मजा लेना चाहता हूँ। ‘इन्सेस्ट का मजा.. वो क्या होता है?’ उसने पूछा। ‘बाद में बताऊँगा.. पर अभी मुझे आपको मामी जी ही कहने दो..।’
यह कह कर मैंने उसकी नाईटी और ब्रा दोनों उतार दी। आज पहली बार वो मेरे सामने अधनंगी हालत में बैठी थी। मैंने छुप-छुप कर तो कई बार दूध पिलाते हुए उसके स्तन देखे थे.. पर आज तो दोनों खुल्लम-खुल्ला मेरे सामने.. मेरे हाथों में थे। मैंने अपना भी कुर्ता-पजामा और बनियान उतार दी। अब मेरे बदन पर सिर्फ़ चड्डी थी.. जिसमें से मेरा पूरी तरह से तना हुआ लण्ड दिख रहा था।
मामी ने मेरे लण्ड पर हाथ मार के कहा- इसको क्या हुआ? और वो अश्लील भाव से हँस दी। मैंने कहा- ये गुस्से से अकड़ गया है.. कहता है मुझे कोई प्यार नहीं करता। ये कह कर मैंने मामी को कन्धों से पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया और बिल्कुल उसकी बगल में खुद भी लेट गया। मैंने अपना दाहिना हाथ उसकी गर्दन के नीचे से निकाला.. उसके सर को अपनी तरफ घुमा कर उसके होंठों को अपने होंठों से पकड़ा और चूसने लगा।
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उसकी मोटी गुदाज़ जाँघ को अपनी जांघों में जकड़ा ताकि मेरा लण्ड उसकी कमर पर घिस सकूँ। अब मैंने अपना हाथ सीधे उसकी सलवार में डाल दिया और अपनी बीच वाली ऊँगली से उसकी चूत का दाना छेड़ने लगा। उसकी चूत पूरी तरह से पानी से भीगी पड़ी थी। उसने भी अपना हाथ मेरी चड्डी में डाल दिया और मज़बूती से मेरा लंड पकड़ कर हिलाने लगी। ‘मामीज़ी, मुझे आपकी चूत चाटनी है.. क्या मैं आपकी चूत चाट सकता हूँ..।’ मैंने उससे कहा।
‘छी:.. उसे चाटते थोड़े ही हैं..’ वो बोली। मैं उठा और उठ कर उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सरका कर उसकी सलवार नीचे उतार दी। एक बेहद गोरी और शेव की हुई साफ़-सुथरी चिकनी चूत देखने को मिली। मैंने 69 में घूम कर अपना लंड उसके मुँह के पास कर दिया और दोनों हाथों से उसकी टाँगें चौड़ी करके अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया। पहले तो उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटा… फिर मुँह नीचे ले गया और उसकी चूत में अपना सारा मुँह डाल दिया।