कंचन की गुझिया सी चूत

मैं सुदर्शन.. इससे पूर्व आपने मेरी कहानी ‘चूत चोद कर शादी की‘ पढ़ी थी। वो कहानी मेरे छोटे जीजाजी की बहन को अपना हमसफर बनाने के बारे में थी। अब मैं अपने बड़े जीजाजी की बहन और अपने प्रेम-संबधों की कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ। hot sex story

यह बात मेरी कृति के साथ शादी से तीन साल पहले की है।

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antarvasnasexstories.org par hot sex story in hindi chudai jaise mast antarvasna sex kahaniमैं खिचड़ी (मकर संक्रांति) पर खिचड़ी लेकर बड़ी बहन के ससुराल गया।

मेरी ठंडी की 15 दिन की छुट्टी थीं।

मेरी मुलाकात वहाँ कंचन से हुई, वो मेरे जीजाजी की बहन थी।

इधर मैं उसका थोड़ा सा वर्णन करना चाहता हूँ।

वो एक नटखट चुलबुली.. सांवली.. अच्छी छवि वाली.. चूची सुडौल.. कुल मिलाकर ऐसा माल कि सामने वाले की नियत बिगाड़ दे।

वो सच में ऐसी ही मस्त माल थी।

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मेरी उससे दोस्ती हो गई। हम दोनों साथ में गाँव में घूमते और खूब बातें करने लगे।

रात में एक कमरे में दो चारपाई लगी रहती थीं.. एक पर कंचन और उसकी छोटी बहन और दूसरे पर उसका छोटा भाई और मैं लेटते थे।

फिर होता ये था कि जब वो दोनों सो जाते तो उनको किनारे करके खटिया पर इस तरह मैं और कंचन लेट जाते कि हम दोनों अच्छी तरह बात कर सकें।

एक रात भी ऐसा ही हुआ.. हम दोनों एक-दूसरे से बातें करने लगे।

अगर मैं सोने लगता तो वो मुझे उठा देती.. जब उसकी पलक झपने लगती.. तो मैं ठंडे हाथ लगा देता।

इस तरह बात करते-करते मैं उत्तेजित हो गया और मैंने उसके होंठों पर अपनी ऊँगली रखते हुए एक चुम्मी माँगी।

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वो बोली- मैं अपने भाई से बता दूँगी।

इतना सुनते मेरी सारी उत्तेजना छू हो गई, मेरा चेहरा बेइज्जती के डर से फीका पड़ गया और गांड फट कर हाथ में आ गई।

मैंने उसे माफी माँगी और रजाई में सर डाल लिया।

थोड़ी देर बाद कंचन ने अपना हाथ मेरी रजाई में डाल कर मेरे दोनों हाथ अपने रजाई में ले जाकर अपनी चूचियों पर रख दिए।

मैंने डर के मारे कुछ नहीं किया।

वो अपने आप मेरे हाथों से अपने चूचियों को दबवाने लगी.. पर मैंने डर के कारण कुछ नहीं किया।

थोड़ी देर बाद मैं सो गया और सुबह घर आने के लिए तैयार होने लगा।

वो कमरे में आई और बोली- घर मत जाओ।

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मैंने कहा- मैं नहीं रुकूँगा।

वो बोली- नहीं रूकोगे तो रात वाली बात भईया को बता दूँगी।

अब मैं रूँआसा हो कर बोला- आखिर तुम क्या चाहती हो?.. जब प्यार माँगा.. तो मना कर दिया.. अब जब जा रहा हूँ तो नया नाटक..?

उसने मेरे चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ कर अपने होंठों से सटाकर लंबा चुम्बन लिया और बोली- मेरे भोले सनम.. रात में मैं मजाक कर रही थी।

आज शाम को मेरी गुझिया नहीं खाओगे।

मैं हँस कर बोला- जरूर।

उधर खेत में एक पम्पिंग सैट था.. जहाँ पर एक कमरा और खटिया भी थी।

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