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विवेक ने कहा- मैं तो मजाक कर रहा था, हाँ, लेकिन आप पिलाना चाहती है तो पिला दीजिये।
फिर विवेक भाभी को सिखाने में लग गया, सिखाते-सिखाते कभी विवेक भाभी को छू लेता तो कभी भाभी विवेक को…
अब तो विवेक और संध्या एक दूसरे में कुछ ज्यादा ही घुलमिल गये थे, अब वे खुल कर बाते करने लगे थे।
एक बार भाभी ने विवेक से पूछा- चाय पियोगे?
विवेक ने पूछा- किसके दूध की?
संध्या ने कहा- मेरे दूध की!
विवेक ने बोला- सच्ची? तो तो मैं जरूर पियूँगा।
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भाभी ने कहा- सच में पिएगा क्या?
विवेक बोला- मैं तो मजाक कर रहा था, आप चाय न बनाना!
एक बार विवेक को आने में कुछ देरी हो गई, संध्या उसकी आतुरता से राह देख रही थी। विवेक उस शाम आधा ही घंटा भाभी के वहाँ गया और फिर अपने घर चला गया।
अगले दिन विवेक भाभी के घर नहीं आया। एक हफ्ता बीत गया अब विवेक को भाभी के घर आये हुए।
अब न तो विवेक भाभी को दूध लेने के वक़्त उनके पिछवाड़े को निहारने के लिए वह होता था और न ही कुछ भी!
फिर भाभी विवेक के घर गई और विवेक से इसका कारण पूछा। जवाब में विवेक ने कहा कि उसकी कॉलेज में एक गर्लफ़्रेंड है जो उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध जोड़ना चाहती है।
तो भाभी ने बीच में बात काटते हुए कहा- जब तुम्हारी फ्रेंड को कोई दिक्कत नहीं तो तुम क्यों परेशान हो? अक्सर ऐसे मामलों में लड़कों की बजाय लड़कियाँ दिक्कत में होती हैं।
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विवेक बोला- ऐसी बात नहीं है भाभी, मैं भी उसके साथ सम्बन्ध बनाना चाहता हूँ लेकिन इससे पहले मेने कभी सेक्स नहीं किया और ना ही मुझे कुछ इसके बारे में ज्ञान है, मैं अपनी गर्लफ़्रेंड के सामने एक नौसिखिया नहीं बनना चाहता।
इतने पर ही संध्या ने अपने होंठ विवेक के होंठों पर रख दिए और एक किस किया।
वो छोटा किस था जो विवेक की ज़िन्दगी का पहला सुखद अनुभव था।
बाद में भाभी ने विवेक के कान में हल्के से कहा- जैसे तुमने मेरी मदद की, वैसे ही मैं तुम्हारी मदद करुँगी, केवल यह ख्याल रखना कि इसके बारे में किसी और को शक ना हो पाए कि हम क्या कर रहे हैं। और हाँ कल से 6 बजे क्लास में आ जाना, मैं तुम्हें अपना सबसे बेस्ट वाला स्टूडेंट बनाऊँगी।
विवेक अगली शाम भाभी के घर पहुँच गया, संध्या बोली- आ गये तुम? काफी जल्दी लगती है तुम्हें, चलो अब आ गये हो तो कोई बात नहीं, आओ बैठो।
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विवेक को बिठा के भाभी रसोई में चली गई। थोड़ी देर बाद अन्दर से आवाज़ आई- चाय पियोगे?
विवेक ने ना बोला।
संध्या अन्दर से बोली- अब चाय पीने की आदत डाल लो, अब शर्म को छोड़ दो, अभी तो तुम्हें बहुत कुछ सीखना है, ऐसे करोगे तो कैसे चलेगा? तुम चाय पी रहे हो, मैं बना रही हूँ।
थोड़ी देर बाद संध्या चाय बनाकर लाई, उसने अपना दुपट्टा कमर पर खींच कर बाँधा हुआ था और उसका फिगर विवेक पर भारी पड़ रहा था, 36-24-36 जैसा फिगर होगा उसका…
वो चाय लेकर आई और विवेक के सामने झुकी, उस वक़्त उसने अपने बूब्स की झलक उसको दिखा दी।
विवेक देखता ही रह गया, उसी हड़बड़ाहट में उसके हाथ से चाय का कप छुट गया और चाय उसकी पैंट पर जा गिरी।
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संध्या ने कहा- अरे विवेक, संभल कर जरा… तुमने तो देखो, चाय गिरा दी आगे क्या होगा? एक काम करो, चलो अपनी पैंट निकाल दो और वाशरूम हो आओ!
विवेक- मगर…
भाभी ने बीच में बात काटते हुए कहा- अगर मगर कुछ नहीं, तुम पहली बात तो शर्माना छोड़ दो, वरना हम आगे कैसे बढ़ेंगे?
भाभी ने विवेक की पैंट निकाल ली और उसकी जांघों पर अपने हाथ फिराने लगी।
विवेक अब भी थोड़ा असहज़ महसूस कर रहा था।
भाभी बोली- तुम अब रिलैक्स हो जाओ, अब तुम्हें इसकी जल्दी आदत हो जाएगी।
इतने में भाभी ने अपने होंठ विवेक के होंठों पर रख दिए और विवेक को चुम्बन करने लगी।
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धीरे धीरे कर संध्या विवेक के शर्ट के बटन एक-एक कर खोलने लगी और उसकी छाती पर अपने मुलायम हाथ चलाने लगी।
विवेक अपना नियंत्रण धीरे-धीरे खोता जा रहा था, एक तरफ संध्या का किस करना चालू था, फिर भाभी ने विवेक को खड़ा किया और उसका बनियान भी उतार दिया।
अब विवेक संध्या के सामने केवल चड्डी में था। संध्या विवेक को एक पल निहारती रही, बाद में विवेक को बोली- वाओ विवेक… बॉडी तो काफी मेन्टेन की है, कितना छुपा कर रखोगे इसे?
बातें करते-करते संध्या ने विवेक का हाथ अपने बूब्स पर टिका दिया।
Sexy bhabhi कि कहानी जारी रहेगी…..