अपने यार को प्यार नहीं करोगी?

वो मेरे बगल वाली इंडियन स्टाइल कमोड सेक्शन में घुसी, जब उसके पेशाब करने की आवाज़ आने लगी तो मैंने उत्सुकतावश बिना कोई आवाज़ किए कामोद के ऊपर चड़ा और दीवार के ऊपर से दूसरी तरफ देखा।

वाकयी दूसरी तरफ तो एक गोरी चिट्टी औरत बैठी थी, साड़ी ऊपर उठी होने की वजह से उसके बड़े बड़े और गोरे गोरे चूतड़ भी दिख रहे थे।

मेरे तो लण्ड ने अंगड़ाइयाँ लेनी शुरू कर दी।

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उसने भी ढेर सारा पेशाब किया।

मैं चुप से उतर कर बैठ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ।

तभी ख्याल आया कि अगर मैं इसको अपना लण्ड निकाल कर दिखा दूँ, अगर मान गई तो मारने को चूत मिल जाएगी।

जब वो हाथ धोने गई तो मैंने भी अपनी पैंट से अपना लण्ड बाहर निकाला और बाहर आ गया।

जब उसने शीशे में मुझे देखा तो थोड़ा घबराई सी मगर जब उसने मेरा लण्ड पैंट से बाहर निकला हुआ देखा तो एकदम से कड़क कर बोली- यह क्या बदतमीजी है?

‘क्यों मैडम… क्या हुआ?’ मैंने पूछा।

‘नीचे देखो, तुम्हारा वो बाहर ही है।’

‘तो क्या हुआ, क्या आप ऐसी चीज़ पहली बार देख रही हैं?’ मैंने थोड़ा बेशर्मी से कहा, चाहे मेरी भी फटी पड़ी थी, क्योंकि अगर वो शोर मचा देती तो मेरी तो बैंड बज जाती।

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‘नहीं पहली बार तो नहीं देखा, पर इतना बड़ा आज पहली बार देखा है।’ उसकी इस बात से मेरी हिम्मत बढ़ गई..

मैं बोला- अगर इतना बड़ा पहली बार देखा है तो इसका मतलब आपके पति का इतना बड़ा नहीं है, शायद इसका आधा ही हो, क्या आप इसे छूकर देखना चाहेंगी।

अब मेरे मन में डर कम हो गया था, क्योंकि वो लगातार मेरे लण्ड को ही घूरे जा रही थी।

यह बात पक्की हो रही थी कि अगर उसने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया तो फिर तो वो मुझसे चुद कर ही जाएगी।

तभी वो थोड़ा आगे बढ़ी और उसने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया।

बहुत ही सुंदर और नर्म हाथ था उसका।

गोरा हाथ, नाखूनों पे गुलाबी नेल पालिश और उसके हाथ में पकड़ा मेरा काला लण्ड।

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जब उसने ठीक से पकड़ लिया तो मैं थोड़ा उसके पास हुआ और उसका दूसरा हाथ पकड़ कर उसमें भी अपना लण्ड पकड़ा दिया।

उसकी गालों का रंग गुलाबी हो गया था, सांस तेज़ चल रही थी और नज़र तो उसकी बस लण्ड पे जम गई थी।

मैंने मौका देख कर अपनी कमर आगे पीछे करनी शुरू की ताकि वो मेरे लण्ड की हरकत देख सके और मेरा लण्ड उसको गुलाबी होंठों तक पहुँच सके।

जब मैंने उसके दोनों गोरे गोरे हाथों में अपना लण्ड चलाना शुरू किया तो मेरा लण्ड पूरी तरह से अकड़ गया।

जब लण्ड तन गया तो मैंने उसके दोनों कंधों पे हाथ रखे और उसे नीचे बैठने के लिए दबाया।

उसने दो तीन बार अपने होंठों पर जीभ फेरी जैसे उसका गला सूख रहा हो।

जब वो मेरे लण्ड के सामने बैठ गई तो मैंने कहा।

‘अपने यार को प्यार नहीं करोगी?’ यह सुन कर उसने अपनी निगाह मेरे लण्ड से हटा कर मेरी तरफ देखा।

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मैंने उसकी आँखों में देखते हुये अपना लण्ड उसके होंठों से लगाया तो उसने भी बिना कोई विरोध किए मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।

‘उफ़्फ़ !’ उसके नर्म होंठों का स्पर्श कितना प्यारा था।

उसके बाद खुद ही उसने मेरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया, जैसे वो कोई लॉलीपोप या सोफ़्टी खा रही हो।

मैं आनन्द से सरोबार था कि तभी मुझे लगा शायद किसी ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया है।

मैंने उससे कहा- शायद कोई दरवाजा खटखटा रहा है, हमें जाना होगा।

यह कह कर मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला मगर उसने तो मेरे लण्ड को दोनों हाथों से कस के पकड़ लिया और बोली- नहीं, अभी मेरा दिल नहीं भरा, मुझे यह चाहिए और अभी चाहिए।

मैं बोला- ठीक है, पर अभी नहीं थोड़ी देर बाद, मैं कोई इंतजाम करता हूँ, हम आराम से करेंगे, यहाँ लोग आएँगे तो मुश्किल हो सकती है।

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‘ठीक है, पर जल्दी कोई इंतजाम करो, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा, प्लीज़!’

‘तो ऐसा करते हैं, आधे घंटे बाद यहीं मिलते हैं, ठीक है?’

‘ठीक है, पर जाने से पहले एक काम करके जाओ।’ यह कह कर उसने अपनी साड़ी ऊपर उठाई और बोली- प्लीज़, एक बार अंदर डाल दो , मैं मरी जा रही हूँ।

मैं उसके पीछे गया और उसकी एक टांग उठा कर वाश बेसिन पे रखी, अपना लण्ड उसकी चूत पे रखा जिसे उसने अपने हाथ से पकड़ के अपनी चूत के सुराख पर एडजस्ट किया, जब मैंने धक्का मारा तो मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया।

शायद वो इस एहसास में पागल हो चुकी थी और बोली- और डालो, जितना डाल सकते हो डाल दो, मैं पूरा लेना चाहती हूँ।

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