शादी में मेरा चुत-फोडन

और मैं पूरी तरह से गरम हो गई कि इतने में किसी ने आकर बताया कि मेरे अब्बू और भाई आ गए हैं …

तो वो सब मुझे चुदाई की आग में तड़पता छोड़ कर भाग गए और मैं ऐसे ही नंगी बिस्तर पर पड़ी रही।

मेरा शरीर अकड़ चुका था.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं अपनी ऊँगली को ही अपनी चूत में हिलाने लगी और अपनी आग को बुझाने लगी।

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मेरी आँखें लाल होती जा रही थीं और शरीर अकड़ता जा रहा था।

तभी मैं उठ कर बैठी और पलंग के हत्थे को अपनी चूत में डालकर ऊपर-नीचे करने लगी और करीब 3 मिनट बाद पेशाब के साथ मैं झड़ गई तब मुझे कुछ शांति मिली।

फिर उसके बाद मैं अब्बू के साथ घर चली गई।

घर जाकर मेरे भाईजान ने मुझसे पूछा- तुमको क्या हुआ है.. क्या किसी ने कुछ किया है?

मैंने उनसे लिपट कर कहा- किसी ने कुछ किया ही तो नहीं.. साले सब तड़फता छोड़ गए। ‘

क्यों..?’ ‘भाईजान, अब्बू आ गए थे न..’

तो भाईजान ने मुझे एक जोर का चुम्मा लिया और मेरा एक मम्मा मसक दिया।

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मैं समझ गई कि भाईजान का लौड़ा आज मेरी चूत में फिट होने वाला है।

मैंने भाईजान के लौड़े को पकड़ लिया।

भाईजान ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे बिस्तर पर ले गए।

मैंने भी चुदने की जल्दी में जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े उतार फेंके।

मेरे जिस्म पर सिर्फ एक तिकोने वाली थोंग जैसी चड्डी रह गई जो कि अब्बू के एक इशारे पर डोरी की गाँठ खोलने से चूत को उनके लौड़े के लिए खोलने को काफी थी।

भाईजान ने भी अपने कपड़े उतार फेंके और अपना लौड़ा हिलाते हुए मेरे करीब आ गए।

मैंने उनकी आँहों में झांकते हुए ‘गप’ से उनका लौड़ा अपने मुँह में भर लिया और मस्ती से चचोरने लगी।

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भाईजान ने भी ज्यादा देर नहीं लगाई.. मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर चित्त लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गए।

उन्होंने अपना मुस्टंडा लवड़ा मेरी चूत के मुहाने पर रखा और एक ही झटके में अन्दर ठेल दिया।

‘उई..आह्ह…’ मेरी चूत ने उनका लौड़ा निगल लिया था।

मस्ती में मेरी आँखें बन्द हो गईं।

भाईजान ने मुझे हचक कर चोदा और उस रात मेरी पूरी आग भाईजान ने बुझाई और मुझे पूरी तरह से शांत किया।

आगे की घटना में मैं आपको बताऊँगी कि कैसे चच्चा के लड़के यानी दूल्हे ने शादी के दिन मुझे चोदा और फिर उसके सालों ने मेरे साथ रंगरेलियां मनाईं।