पड़ोस वाली सोनी कुड़ी

उसने अपनी टॉप और ब्रा ऊपर करके अपने चूचों को दबाने लगी और सिसकारियाँ भरने लगी…

आअह.. आह.. आह.. हा…’ की आवाजें उसके मुँह से निकल रही थीं।

मैंने मौके का फायदा उठाया और चुपके से उसके पीछे जा कर खड़ा हो गया। फिर मैंने उसको कहा- गुरविन्दर क्या कर रही हो?

वो चौंक गई और अपनी शर्ट नीचे करने लगी।

मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसको बोला- क्या हुआ.. रुक क्यों गई?

उसने कुछ जबाव नहीं दिया.. वो बहुत डर गई थी।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा- घबराओ मत.. मैं किसी को नहीं कहूँगा और मैं तुम्हारा हम-उम्र हूँ.. मैं समझता हूँ कि इस उम्र में ऐसा होता है.. करता है दिल ऐसे करने का…

अब मेरी दिलासा पूर्ण बातों से वो थोड़ी शांत हुई..

मैंने रिमोट उठा कर मूवी की आवाज़ बढ़ा दी और उसका हाथ पकड़ लिया।

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अब हम दोनों मूवी देखने लगे।

वो फिर से गरम होने लगी.. उसकी आँखों में नशा सा छाने लगा।

मैंने उसका हाथ छोड़ दिया वो और गरम होने लगी और मेरा भी लंड उसकी जवानी को सलामी देने लगा।

उसके हाथ फिर से.. खुद के चूचों की तरफ जाने लगे।

मुझे अब वो जन्नत दिखी.. जिसको देखने की मैं बरसों से कोशिश कर रहा था।

मैं अपने ऊपर कंट्रोल नहीं कर पाया और मैंने उसके चूचों के चूचुकों को छेड़ा और एक को अपने मुँह में ले लिया।

वो मस्त निगाहों से मेरी आँखों में देखने लगी..

मैं उसके चूचुक को चूसने लगा… वो चौंक गई..

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लेकिन मैंने उसकी परवाह ना करते हुए अपना काम चालू रखा।

थोड़ी देर बाद उसको मजा आने लगा वो अब सिसकारी ले रही थी.. लंबी-लंबी साँसें ले रही थी।

मैं समझ गया कि अब वो मना करने की हालत में नहीं है।

मैंने उसके दूसरे चूचे को भी दबाना शुरू किया।

अब वो अपनी शर्ट ऊपर करके मेरा साथ देने लगी.. वासना के मारे अपना सर इधर-उधर करने लगी।

वो उत्तेजनावश अपने होंठों को अपने दाँतों के नीचे दबाने लगी।

मैं धीरे-धीरे नीचे आने लगा और उसके पेट पर चुम्बन करने लगा।

अब वो मेरे बालों में हाथ फेर रही थी मैं अब उसके होंठों पर चुम्बन करने लगा.. वो पागलों की तरह मेरे होंठों को चूस रही थी।

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मैंने उसके कन्धों पर चुम्बन करके उसको मदहोश कर दिया.. उसके मुँह से सिर्फ़ ‘आह.. ओह.. हा.. हा..’ की सिसकारियाँ निकल रही थीं।

मैंने उसकी शर्ट निकाल कर फेंक दी और उसकी मुसम्मियों को चूसने लगा।

वो मेरा साथ दे रही थी.. मैंने उसका लोवर उतारने के लिए पकड़ा उसने भी गाण्ड उठा कर मेरा साथ दिया और मैंने उसका लोवर उतार फेंका।

वो दिन मेरी जिंदगी का बहुत कीमती दिन था।

जिसको देख कर मेरा लंड सलामी देता था.. वो आज नंगी मेरे सामने थी।

मैंने उसकी जाँघों को चूमा.. तो वो सिहर उठी… फिर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी।

हय.. मेरे सामने तो जन्नत नंगी खड़ी थी..

मैं तो जैसे सपना देख रहा था कि वो मेरे सामने नंगी खड़ी है।

मैं उसको पागलों की तरह चूम-चाट रहा था.. वो भी मेरा साथ दे रही थी।

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अब मैंने उसकी टाँगें फैला दीं और उसकी चूत के बिल्कुल सामने आ गया।

क्या मस्त चूत थी उसकी.. एकदम गुलाबी.. उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था.. शायद उसी दिन साफ़ की होगी।

मैंने उसकी चूत के दाने पर जीभ रखी वो सिहर गई.. उसने मेरे बाल पकड़ लिए।

मैंने उसकी चूत के दाने को जीभ से चाटना शुरू किया वो सीत्कारियाँ ले रही थी।

‘आह ओह हहहहहहह.. आह.. उह हाय.. उह उफ़…’ उसके मुँह से मादक ध्वनियाँ निकल रही थीं।

हय.. क्या स्वाद था.. उसकी चूत का.. प्री-कम की बूँदों ने उसकी जवान कुँवारी चूत का स्वाद.. मस्त मदहोश करने वाला बना दिया था।

मैं पागलों की तरह उसकी चूत को चूसे जा रहा था और उसके चूचों को दबा रहा था।

मुझे पता भी नहीं लगा कि कब वो झड़ गई.. उसने मेरा मुँह अपनी चूत से हटा दिया।

मैंने उसके मुँह पर देखा जैसे वो इस परम आनन्द के लिए मुझे धन्यवाद कर रही थी।

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