दोस्त की मम्मी

मैं आंटी की तरफ बढ़ा और आंटी से चिपक गया। फिर आंटी ने भी मुझे कस कर गले लगा लिया और मुझे चूमने लगी।

मैंने भी मौके को गंवाया नहीं और उनके होठों को चूसने लग गया।

मैं पहली बार किसी आंटी को चूम रहा था और मुझे आंटी को चूमने में काफी मज़ा आ रहा था। उनके होंठ एकदम किसी जवान लड़की की तरह थे, एकदम वही मज़ा मिल रहा था मुझे।

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अब आंटी ने मुझे बिस्तर पे बिठा दिया और मेरे सामने घुटने के बल बैठ गई और मेरी पैंट की ज़िप खोलने लगी। मैं खड़ा हुआ और जल्दी से ज़िप खोल कर उनके सामने मैंने अपना लंड लटका दिया।

आँटी बोली- काफी अच्छा है तुम्हारा लंड !

और फिर उसे पकड़ कर दबाने लग गई। उनके दबाने से तो मेरे अंग अंग में करंट सा दौड़ पड़ा, अब कुछ देर के बाद उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और उसे कस कस कर चूसने लगी।

वो एकदम उनकी तरह चूस रही थी जैसे ब्लू फिल्म में चूसते हैं, एकदम सर को आगे पीछे कर कर के चूस रही थी।

मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरा लंड चूसती रही, कुछ देर के चूसने के बाद उन्होंने मेरी पैंट और फिर शर्ट दोनों उतार दी और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगी, फिर एक हाथ से मेरे लंड को दबाए जा रही थी।

कुछ देर के बाद मैंने उन्हें लेटा दिया और उनके चुचों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही काटने लगा। थोड़ी देर काटने के बाद उन्होंने खुद अपनी ब्लाउज़ उतार दी और फिर मुझे चूसने को कहा।

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मैं उनके एक चुच्चे को चूसता तो दूसरे को मसलता रहता। दस मिनट तक मैं उनकी चूचियों को गर्म करता रहा और वो दस मिनट तक सिसकारियाँ भरती रही।

मैं अब उठा और उनके पेटीकोट के अंदर सर डाल दिया और उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को हल्के हल्के काटने लग गया। उनकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और उसमें से महक आ रही थी जैसे चूत में से आती है।

मैं उनकी पेटीकोट के अंदर ही पगला गया और उनकी पेंटी की बगल में से उनकी चूत में उंगली करने लगा।

पाँच मिनट के बाद मैंने अपना सर बाहर निकाला और उनकी पेटीकोट के साथ साथ उनकी पेंटी भी उतार दी। अब आंटी मेरे सामने पूरी नंगी थी, उनकी चूत पर काफी बाल थे, पर मुझे उससे कुछ फर्क नहीं पड़ा।

मैं दोबारा उनके चुचों पर टूट पड़ा और उन्हें कस कस कर चूसने लगा। वो अब सिसकारियों पे सिसकारियाँ भरने लगी- ओह ह्मम्म क्या मज़ा आ रहा है और जोर से चूसो इसे, खा जा इसे ऊह ओऊ हम्म्म येह्ह्ह्ह किये जा रही थी।

मैं उन्हें चूमते चूमते उनकी चूत की तरफ आ गया, और फिर उनके चूत के बालों को एक तरफ किया और उनकी चूत में जीभ रगड़ने लग गया।

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उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखा और मुझे अपनी चूत पर कस के दबा लिया, मैं उनकी चूत को और कस के रगड़ने लगा, मैं बीच बीच में उनकी चूत की पंखुड़ियों को अपने होठों से काटने लगा और उनकी चूत की छेद को में अपने जीभ से धकेल भी देता बीच बीच में।

जितने बार उनकी छेद में जीभ से धक्का देता उतनी बार वो सिकुड़ जाती और उफ्फ्फ्फ्फ़ आह करने लग जाती।

अब वो बोली- और कब तक से चूसेगा, जल्दी से अपना प्यारा लंड डाल दे, मैं और नहीं रुक सकती, जल्दी कर।

मैं उठा और उनकी चूत पर लंड सटा दिया और धक्का दिया, पहले जब लंड घुसा तब वो हल्का सा चीखी और फिर शांत हो गई।

मैंने धक्का देना शुरु कर दिया और कुछ 8-10 धक्कों के बाद वो भी अपना गांड उठा उठा कर मुझे अपनी चूत देने लगी।

उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया, उनकी उंगलियों के नाख़ून मुझे चुभने लगे।

मैं फिर भी उन्हें कस कस के धक्का देता गया और वो अपना गांड उठा उठा कर अपनी चूत देने लगी और मेरा लंड जल्दी जल्दी लेने लगी।

वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी।

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मैंने उन्हें अब घोड़ी बनने के लिए बोला तो वो बोली- गांड नहीं दूंगी चूत मार ले।

मैंने कहा- गांड नहीं मारनी, चूत ही मारूंगा मगर पीछे से।

वो बोली- ठीक है।

और फिर घोड़ी बन गई, मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड घुसा दिया, मैं अब लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर कर रहा था।

मैं फिर एकदम से रुक गया और एक ही झटके में मैंने लंड चूत से हटा के गांड में दे दिया और उनकी गांड फट गई।

वो एकदम से बुरी तरह चीख उठी और मुझे गालियाँ देने लगी, बोली- कुत्ते, तुझे मना किया था न गांड में नहीं तो फिर क्यों दिया?

मैंने उनकी बात नहीं सुनी और गांड मारता रहा, करीब दस मिनट बाद वो खुद अब अपनी गांड पीछे की तरफ धकेलने लगी, मैं आगे की तरफ शोट मारता और वो पीछे की तरफ !

हम दोनों पूरा मज़ा ले रहे थे, इसमे भी वो एक बार झड़ गई और फिर कुछ देर के बाद मैं भी उनकी गांड में झड़ गया।

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जब मैंने लंड निकाला तो कुछ पलों के बाद उनकी गांड से मेरा मुठ निकलने लग गया, उन्होंने अपनी गांड में उंगली फेरी और मेरे मुठ को उंगलियो से लेकर चाट गई।

मैंने फिर उनके मुँह में अपना लंड दे दिया और साफ़ करने को बोला।

उन्होंने मेरे लंड को एकदम साफ़ कर दिया और हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे लेट कर चूमते रहे।

फिर मैंने उन्हें कहा- अब मैं चलता हूँ फिर कभी और करेंगे।

मैं उठा और कपड़े पहन लिए और वो भी अपनी साड़ी पहनने लगी, और फिर हम पाँच मिनट में ठीक ठाक हो गए।

मैंने आंटी से पूछा- अंकल, तो कल मस्त मजा दे रहे थे फिर मेरी जरुरत क्यों पड़ी?

आंटी बोली- उनका तरीका मस्त है पर जल्दी झड़ जाते हैं, और सिर्फ हफ़्ते में एक बार ही पेलते हैं।

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मुझसे नहीं रहा जाता, एक तो जल्दी भी झड़ जाते हैं और एक हफ्ता बैठ कर मुठ जमा करते हैं।

मैं उनको कुछ पल तक देखता रहा और फिर एक चुम्मी देके चला गया। इसके बाद तो मैंने आंटी को काफी बार पेल चुका हूँ।