गुसलखाने का बंद दरवाज़ा खोला

जैसे ही उसने पीठ करी तभी मुझे उसकी नाइटी से चिपकी उसकी ब्रा और जांघिया की रूपरेखा दिखाई दी और मेरी पुष्टि हो गई कि उसने पैंटी और ब्रा पहने हुई थी।

वह तार पर से कपड़े उतार कर जब फर्श पर गिरी ब्रा और पैंटी उठाने के लिए झुकी तब उसकी नाइटी के खुले गले में से उसकी ब्रा में बंधी हुई चूचियों के दर्शन ज़रूर हो गए। indian porn

जब वह फर्श से कपड़े उठा कर खड़ी हुई तब मुझे देख कर मुस्कराई और फिर अन्दर अपने घर में चली गई।

उसके जाने के बाद मैं फिर से अपनी चहल-कदमी करने लगा!

अगले दो दिन भी बादल छाए रहे और बीच बीच में वर्षा की कुछ बूंदें पड़ जाती थी इसलिए अधिकतर बालकनी में ही बैठा रहा लेकिन मुझे उस यौवना के दर्शन नहीं हुए!

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उसके अगले दिन मुझे बैंगलोर में आए छटा दिन था और धूप निकली हुई थी।

भईया और भाभी के काम पर जाने के बाद मैं बाहर घूमने जाने की कोई योजना पर विचार कर रहा था, तभी मुझे किसी की सहायता के लिए चिल्लाने की आवाज़ आई!

मैं बालकनी में आकर उस आवाज़ की दिशा जानने की कोशिश ही कर रहा था तभी मुझे साथ वाले घर की ओर से एक स्त्री की पुकार सुनाई दी- हेल्प, हेल्प, प्लीज हेल्प!

कोई तो मेरी सहायता करो।

मैंने उधर जा कर हल्की आवाज़ लगा कर पूछा- मैडम, आप को क्या सहायता चाहिए?

उधर से मेरे प्रश्न का उत्तर आया- मेरे गुसलखाने के दरवाज़े का लैच खराब हो गया है और वह खुल नहीं रहा है!

मैं गुसलखाने में बंद हो गई हूँ और बाहर निकल नहीं पा रही हूँ! कृपया आप उसे खोल कर मुझे बाहर निकलने में सहायता कर दीजिये।

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मैंने फिर पूछा- आपका वह गुसलखाना कहाँ है जिसमें आप बंद हैं और उस तक कैसे पहुँचा जा सकता है?

उस स्त्री ने कहा- मैं फ्लैट नंबर 701 में रहती हूँ और मेरा गुसलखाना फ्लैट नंबर 702 की दीवार के साथ ही है!

तब मैंने कहा- मैं फ्लैट नंबर 702 में रहता हूँ और उसी की बालकनी में खड़ा हूँ! आप बताएँ कि मैं आपके पास सहायता के लिए कैसे पहुँचूं?

तब स्त्री ने कहा- फ्लैट के बाहर का दरवाज़ा तो अन्दर से बंद है और मैं उसे खोलने में असमर्थ हूँ इसलिए आपको सहायता के लिए बालकनी से ही कोई प्रयोजन करना होगा।

मैंने उस स्त्री को कहा- ठीक है, मैं अपनी बालकनी से आपकी बालकनी में आकर देखता हूँ कि मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ।

उसके बाद मैं अपनी बालकनी से साथ वाले घर की बालकनी में लांघ कर गया और उस स्त्री को आवाज़ लगाते हुए एवं उससे बातें करते हुए उसके गुसलखाने के बाहर पहुँच गया।

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वहाँ जब मैंने सर्वेक्षण किया तो पाया कि बालकनी में खुलने वाले सभी दरवाज़े घर के अन्दर से बंद थे, गुसलखाने की एकमात्र खिड़की बालकनी की ओर थी और उसमें शीशे लगे हुए थे।

खिड़की के नीचे के आधे भाग में जो शीशा लगा था वह बिल्कुल सील था और उसे खोला नहीं जा सकता था लेकिन उसके ऊपर के आधे भाग में तिरछे शीशे लगे थे जिन्हें सिर्फ अन्दर से ही निकाला जा सकता था।

मैंने खिड़की के पास खड़े होकर उस स्त्री से कहा- देखिये, आपके घर के अंदर आने के सभी रास्ते बंद हैं! आपकी सहायता के लिए मुझे सिर्फ एक ही रास्ता दिखाई दे रहा है जहाँ से आपके गुसलखाने में आने का प्रयास किया जा सकता है।

तब उस स्त्री ने कहा- तो आप उस रास्ते से क्यों नहीं सहायता करते?

मैंने उत्तर दिया- उसके लिए पहले आपको मेरी सहायता करनी पड़ेगी।

उस स्त्री ने कहा- मुझसे कैसी सहायता चाहिए आपको।

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मैं बोला- गुसलखाने की खिड़की के ऊपर के भाग में जो तिरछे शीशे लगे है वह सिर्फ अंदर से ही निकाले जा सकते है! अगर आप किसी तरह उन शीशों को निकाल देवें तो मैं उस 18″ X 18″ के झरोखे में से ही अन्दर आकर दरवाज़े को खोलने का प्रयास कर सकता हूँ।

उस स्त्री ने कहा- ठीक है मैं उन शीशों को निकालने का प्रयत्न करती हूँ।

उसके बाद वह स्त्री एक बाल्टी को उल्टा रख कर उस पर खड़ी हो कर वह शीशे निकालने लगी और अगले दस मिनट में उसने वे छह शीशे निकाल दिए और वहाँ से गुसलखाने के अन्दर जाने का रास्ता बना दिया!

तब मैंने अपने घर से एक स्टूल ला कर उस खिड़की के नीचे रखा और उस पर चढ़ गया!

वहाँ से मैंने दरवाज़ा खोलने वाले संभावित उपकरणों का डिब्बा खिड़की के अन्दर उस स्त्री को पकड़ाने के लिए जैसे ही अंदर झाँका तो वहाँ का नज़ारा देख कर दंग रह गया!

कहानी जारी रहेगी।