दीपा मेडम – भाग ३

अब मेरा ध्यान उसके गाण्ड के छेद पर गया। उस पर चिकनाई सी लगी थी और वो कभी खुलता कभी बंद होता ऐसे लग रहा था जैसे मेरी ओर आँख मार कर मुझे निमंत्रण दे रहा हो। मैंने अपने अंगूठे पर थूक लगाया और फिर उस खुलते बंद होते छेद पर मसलने लगा।

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मैंने दूसरे हाथ से नीचे उसकी चूत का अनारदाना भी मसलना चालू रखा। वो जोर जोर से अपने नितम्बों को हिलाने लगी थी। मुझे लगा वो फिर झड़ने वाली है। मैंने अपना अंगूठा उसकी गाण्ड के नर्म छेद में डाल दिया। छेद तो पहले से ही चिकना था और उत्तेजना के मारे ढीला सा हो गया था मेरा आधा अंगूठा अन्दर चला गया उस के साथ ही दीपा की किलकारी गूँज गई,”ऊईईईईईईई …. माँ ………… ओये … ओह … रुको …. !”

उसने मेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ हटाने की कोशिश की पर मैंने अपने अंगूठे को दो तीन बार अन्दर बाहर कर ही दिया साथ में उसके दाने को भी मसलता रहा। और उसके साथ ही मुझे लगा मेरे लण्ड के चारों ओर चिकना लिसलिसा सा द्रव्य लग गया है। एक सित्कार के साथ दीपा धड़ाम से नीचे गिर पड़ी और मैं भी उसके ऊपर ही गिर पड़ा।

उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थी और उसका शरीर कुछ झटके से खा रहा था। मैं कुछ देर उसके ऊपर ही लेता रहा। मेरा पानी अभी नहीं निकला था। मैंने फिर से एक धक्का लगाया।

“ओह … जीजू … अब बस करो … आह … और नहीं … बस …!”

“मेरी जान अभी तो अर्ध शतक भी नहीं हुआ ?”

“ओह … गोली मारो शतकाँ नूँ मेरी ते हालत खराब हो गई । आह … !” वो कसमसाने सी लगी। ऐसा करने से मेरा लण्ड फिसल कर बाहर आ गया और फिर वो पलट कर सीधी हो गई।

“इस बार तुमने मुझे कच्चा भुना छोड़ दिया …?” मैंने उलाहना देते हुए कहा।

“नहीं जीजू बस अब और नहीं … मैं बहुत थक गई हूँ … तुमने तो मेरी हड्डियाँ ही चटका दी हैं।”

“पर मैं इसका क्या करूँ ? यह तो ऐसे मानेगा नहीं ?” मैंने अपने तन्नाये (खड़े) लण्ड की ओर इशारा करते हुए कहा।

“ओह… कोई गल्ल नइ मैं इन्नु मना लेन्नी हाँ..?” उसने मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भींच लिया और उसे ऊपर नीचे करने लगी।

“दीपा ऐसे नहीं इसे मुँह में लेकर चूसो ना प्लीज ?”

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“ओये होए मैं सदके जावां … मेरे गिरधारी लाल …?”

और फिर उसने मेरे लण्ड का टोपा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। क्या कमाल का लण्ड चूसती है साली पूरी लण्डखोर लगती है ? उसके मुँह की लज्जत तो उसकी चूत से भी ज्यादा मजेदार थी।

मेरा तो मन करने लगा इसका सर पकड़ कर पूरा अन्दर गले तक ठोक कर अपना सारा माल इसके मुँह में ही उंडेल दूं पर मैंने अपना इरादा बदल लिया।

आप शायद हैरान हो रहे होंगे ? ओह…. दर असल मैं एक बार लगते हाथों उसकी गाण्ड भी मारना चाहता था। उसने कोई 4-5 मिनट ही मेरे लण्ड को चूसा होगा और फिर उसने मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकाल दिया।

“जिज्जू मेरा तो गला भी दुखने लगा है !”

“पर तुमने तो शर्त लगाई थी ?”

“केहड़ी शर्त ?” (कौन सी शर्त)

“कि इस बार मुझे अपनी शानदार बोवलिंग से फिर आउट कर दोगी ?”

“ओह मेरी तो फुद्दी और गला दोनों दुखने लगे हैं ?”

“पर भगवान् ने लड़की को एक और छेद भी तो दिया है ?”

“कि मतलब ?”

“अरे मेरी चंपाकलि तुम्हारी गाण्ड का छेद भी तो एक दम पटाका है ?”

“तुस्सी पागल ते नइ होए ?”मेरा तो मन करने लगा इसका सर पकड़ कर पूरा अन्दर गले तक ठोक कर अपना सारा माल इसके मुँह में ही उंडेल दूं पर मैंने अपना इरादा बदल लिया।

आप शायद हैरान हो रहे होंगे ? ओह…. दर असल मैं एक बार लगते हाथों उसकी गाण्ड भी मारना चाहता था। उसने कोई 4-5 मिनट ही मेरे लण्ड को चूसा होगा और फिर उसने मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकाल दिया।

“जिज्जू मेरा तो गला भी दुखने लगा है !”

“पर तुमने तो शर्त लगाई थी ?”

“केहड़ी शर्त ?” (कौन सी शर्त)

“कि इस बार मुझे अपनी शानदार बोवलिंग से फिर आउट कर दोगी ?”

“ओह मेरी तो फुद्दी और गला दोनों दुखने लगे हैं !”

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“पर भगवान् ने लड़की को एक और छेद भी तो दिया है ?”

“की मतलब ?”

“अरे मेरी चंपाकलि तुम्हारी गाण्ड का छेद भी तो एक दम पटाका है !”

“तुस्सी पागल ते नइ होए ?”

“अरे मेरी छमक छल्लो एक बार इसका मज़ा तो लेकर देखो … तुम तो दीवानी बन जाओगी !”

“ना … बाबा … ना … तुम तो मुझे मार ही डालोगे … देखो यह कितना मोटा और खूंखार लग रहा है !”

“मेरी सोनियो ! इसे तो जन्नत का दूसरा दरवाज़ा कहते हैं। इसमें जो आनंद मिलता है दुनिया की किसी दूसरी क्रिया में नहीं मिलता !”

वो मेरे लण्ड को हाथ में पकड़े घूरे जा रही थी। मैं उसके मन की हालत जानता था। कोई भी लड़की पहली बार चुदवाने और गाण्ड मरवाने के लिए इतना जल्दी अपने आप को मानसिक रूप से तैयार नहीं कर पाती। पर मेरा अनुमान था वो थोड़ी ना नुकर के बाद मान जायेगी।

“फिर तुमने उस मधु मक्खी को बिना गाण्ड मारे कैसे छोड़ दिया ?”

“ओह… वो दरअसल उसकी चूत और मुँह दोनों जल्दी नहीं थकते इसलिए गाण्ड मारने की नौबत ही नहीं आई !”

“साली इक्क नंबर दी लण्डखोर हैगी !” उसने बुरा सा मुँह बनाया।

“दीपा सच कहता हूँ इसमें लड़कियों को भी बहुत मज़ा आता है ?”

“पर मैंने तो सुना है इसमें बहुत दर्द होता है ?”

“तुमने किस से सुना है ?”

“वो .. मेरी एक सहेली है .. वो बता रही थी कि जब भी उसका बॉयफ्रेंड उसकी गाण्ड मारता है तो उसे बड़ा दर्द होता है।”

“अरे मेरी पटियाला की मोरनी तुम खुद ही सोचो अगर ऐसा होता तो वो बार बार उसे अपनी गाण्ड क्यों मारने देती है ?”

“हाँ यह बात तो तुमने सही कही !”

बस अब तो मेरी सारी बाधाएं अपने आप दूर हो गई थी। गाण्ड मारने का रास्ता निष्कंटक (साफ़) हो गया था। मैंने झट से उसे अपनी बाहों में दबोच लिया। वो तो उईईईईईई …. करती ही रह गई।

“जीजू मुझे डर लग रहा है ….। प्लीज धीरे धीरे करना !”

“अरे मेरी बुलबुल मेरी सोनिये तू बिल्कुल चिंता मत कर .. यह गाण्ड चुदाई तो तुम्हें जिन्दगी भर याद रहेगी!”

वह पेट के बल लेट गई और उसने अपने नितम्ब फिर से ऊपर उठा दिए। मैंने स्टूल पर पड़ी पड़ी क्रीम की डब्बी उठाई और ढेर सारी क्रीम उसकी गाण्ड के छेद पर लगा दी। फिर धीरे से एक अंगुली उसकी गाण्ड के छेद में डालकर अन्दर-बाहर करने लगा। रोमांच और डर के मारे उसने अपनी गाण्ड को अन्दर भींच सा लिया। मैंने उसे समझाया कि वो इसे बिल्कुल ढीला छोड़ दे, मैं आराम से करूँगा बिल्कुल दर्द नहीं होने दूंगा।

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अब मैंने अपने गिरधारी लाल पर भी क्रीम लगा ली। पहाले तो मैंने सोचा था कि थूक से ही काम चला लूं पर फिर मुझे ख्याल आया कि चलो चूत तो हो सकता है कि पहले से चुदी हो पर गाण्ड एक दम कुंवारी और झकास है, कहीं इसे दर्द हुआ और इसने गाण्ड मरवाने से मना कर दिया तो मेरी दिली तमन्ना तो चूर चूर ही हो जायेगी। मैं कतई ऐसा नहीं चाहता था।