उसकी बात सुन कर हम दोनों हंस पड़े।
कुछ देर बातें करने के बाद मैंने सिगरेट निकली और उसे ऑफर की, उसनें डिब्बी से एक निकली और अपने होंठों में दबा ली।
मैंने कहा- अपनी सुलगाइएगा तो मेरी भी सुलगा दीजिये।
उसने दो सिगरेट अपने होंठों में ली और लाईटर से दोनों जला दी, मेरी सिगरेट पे उसके लिपस्टिक के निशान बन गए।
मैंने उसे देखते हुये पहले उसके लिपस्टिक के निशान को चूमा और फिर सिगरेट का कश लगाया।
वो मुस्कुरा कर बोली- आप तो, लगता है, ज़्यादा ही लट्टू हो गए मुझ पर?
मैंने कहा- अरे रेखा और अमित की आशिक़ी के किस्से तो सारी दुनिया में मशहूर हैं।
वो हंसी और बोली- न तो आप वो अमित हैं, और न मैं वो रेखा हूँ।
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‘हाँ, वो वाले नहीं हैं, मगर खुद को वो समझ तो सकते हैं।’ मैंने कहा।
तो उसने बड़ी गहरी निगाह से मुझको घूरा।
खैर बातें चलती रही और गाड़ी भी हम दोनों एक दूसरे से लगातार बातें करते रहे, मैंने उसके और उसने मेरे बारे में एक दूसरे को बहुत कुछ बताया और हम दोनों बातों बातों में एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त बन गए।
हमने बहुत खुल कर बातचीत की, मगर मैंने एक मर्यादा से बाहर जाकर कुछ नहीं किया।
एलीफेंटा पहुँच कर मैंने गाड़ी रोकी और उस से पूछा- रेखा क्या लोगी?
वो भी मस्ती में बोली- कुछ मर्ज़ी ले आओ यार।
मैं दुकान से कोल्ड ड्रिंक, सोडा, नमकीन वगैरह ले आया, शराब मेरे पास गाड़ी में थी।
मैंने गाड़ी बढ़ाई और काफी आगे जा कर जब रास्ता सुनसान सा हो गया, गाड़ी रोक दी।
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मैंने बोतल खोली और दो पेग बनाए- किसके साथ लोगी, कोल्ड ड्रिंक, सोडा, पानी?
वो बोली- सोडा और पानी मिक्स!
मैंने दोनों पेग बनाए, एक उसको दिया- अपनी दोस्ती के नाम!
‘दोस्ती के नाम…’ कह कर हम दोनों ने एक एक घूंट पिया।
उसके बाद तो बातों का जो दौर शुरू हुआ, पूछो मत।
हम दोनों आधी से ज़्यादा बोतल गटक गए, सुरूर दोनों को पूरा हो गया था, बेवजह बात बात पे हंसी, ठहाके चल रहे थे।
बात करते करते उसकी साड़ी का पल्लू गिर गया और उसके ब्लाउज़ के लो कट से उसके आधे स्तन बाहर दिखने लगे।
वो अपना पल्लू ठीक करने लगी तो मैंने रोक दिया- मत कर यार, फिर गिर जाएगा, तू फिर ठीक करेगी, यह फिर गिर जाएगा।
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तो वो बोली- इसका मतलब यह कि मैं तुझे अपनी छातियाँ बाहर निकाल के दिखाऊँ, या तू खुद इन्हें देखना चाहता है?
‘जैसा तू ठीक समझे!’ मैंने कहा- अगर दिखाना चाहती है तो दिखा दे, मुझे कोई ऐतराज नहीं!’ मैं उसे आँख मार के बोला।
‘भोंसड़ी के, छातियाँ मेरी, तू कौन होता है ऐतराज करने वाला’। मुझे उसके मुँह से गाली थोड़ी अजीब लगी, मगर बुरी नहीं लगी।
‘अरे यार, अगर तू फिल्म में एक्ट्रेस होती तो भी तो दिखाती, अब दिखा दे।’ मैंने कहा।
‘तू देखेगा?’ उसने पूछा।
‘अरे लवड़े की… दिखाएगी भी या बातें ही बनाएगी?’ मैंने भी उसे गाली दे ही दी।
उसने मेरी तरफ देखा और बोली- ले देख, हारामी, ठरकी साले!
कह कर उसने अपने ब्लाउज़ के हुक खोले, और ब्लाउज़ ब्रा दोनों उतार दिये।
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वाह… क्या शानदार चूचे थे उसके, एकदम मस्त, गोल, भरे हुये और तने हुए।
मैंने देखते देखते उसके दोनों बूब्स अपने हाथों में पकड़ लिए- ओह रेखा, तुम बहुत लाजवाब हो।
कह कर मैंने उसके निप्पल को मुँह लिया और चूसने लगा।
वो व्हिस्की पीती रही और मैं उसके बूब्स चूसता रहा। बूब्स चूसते चूसते मैंने उसके पेट, बगलों, गर्दन और जहाँ तक हो सका, उसे चूमा भी और अपनी जीभ से चाटा भी।
उसकी साँसों की रफ्तार से मुझे पता चल रहा था कि वो भी पूरी गर्म हो चुकी है। अब मैं सोच रहा था कि इससे पूछूं कि आगे का क्या प्रोग्राम है।
तभी वो बोली- अमित, लेगा मेरी?
अरे मुझे तो मुँह मांगी मुराद मिल गई थी, मैंने कहा- अब इतनी आगे आकर पीछे मुड़ने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
कह कर मैं अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा तो वो बोली- यहाँ नहीं, रुको ज़रा, बाहर चलते हैं।
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