उतनी देर में मैंने उसे आवाज़ लगाई- नाश्ता मिलेगा या नहीं?
तो उसने कहा- लाती हूँ।
और वो नाश्ता लेकर आई, तो बॉस बोला- लो भाभी ने तो मुँह भी धो लिया.. लगता है इन्हें फिर से होली खेलनी है।
सब लोग हँसने लगे, बीवी बिना बोले अन्दर चली गई।
तभी वहाँ मोहल्ले के कुछ 15-20 लड़कों की टोली आई।
यह लोग सुबह से ही सड़क पर घूम रहे थे और लोगों को रंग लगा रहे थे।
सभी कॉलोनी के ही 20-25 साल के लड़के थे।
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इन्होंने लड़कियों को ख़ास निशाना बना रखा था और अगर कोई लड़की इनके हाथ लगी तो समझो उसकी शामत पक्की थी, ये लोग पक्के रंग, पानी, ग्रीस, कीचड़, सब का इस्तेमाल कर रहे थे।
ये लोग ऊपर आए और मुझे और उनके ऑफिस के लोगों को रंग लगाने लगे।
इसके बाद उन्होंने पूछा- अंकल.. आंटी नज़र नहीं आ रही हैं।
तो मैंने कहा- वो होली नहीं खेलती हैं।
वो लोग बहाने करने लगे कि सिर्फ़ गुलाल से ही होली खेलेंगे, आप आंटी को बुलाओ।
लेकिन मैंने मना कर दिया, यह देख कर बॉस बोले- अरे बुला लो.. यार होली है और यह लोग तो बच्चे हैं.. खेलने दो होली…
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तो मैंने कहा- आप इन्हें नहीं जानते, रहने दीजिए…
इस पर बॉस ने कहा- कम ऑन यार.. तुम भी…
मैं कुछ नहीं बोला और दो मिनट सब चुप हो गए।
तभी मैंने देखा कि मेरा बॉस और उनमें से 1-2 लड़के हंस रहे हैं।
मैं समझा कुछ गड़बड़ है।
इस पर बॉस ने पूछा- टॉयलेट किधर है?
और वो बिना मेरे जबाव का इन्तजार किए अन्दर चले गए।
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बीवी एक तरफ खड़ी थी, टॉयलेट से बाहर निकल कर उन्होंने मेरी बीवी से पानी माँगा, तो वो पानी लेकर आई और उन्होंने पानी का गिलास लेने के बजाए बीवी का हाथ पकड़ लिया।
इस पर वो चिल्लाई- छोड़ो.. छोड़ो..
तो बॉस भी ज़ोर से बोले- होली है भाभी.. होली है.. वो उसको खींच कर बाहर ले आए।
बाहर लाकर बीवी को सबके बीच में खड़ा करके कहा- लो खेल लो होली… अपनी आंटी के साथ…
यह देख कर मैंने बॉस की तरफ देखा तो बॉस ने इशारे में मुझे चुप कर दिया और कहा- चलो हम गुप्ता जी से मिल कर आते हैं।
वो मुझको लेकर निकलने लगे।
इधर बीवी जब आई तो खींच-तान में उसकी साड़ी का पल्लू खिसक गया था और मम्मे दिखने लगे थे।
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उसके 34 साइज़ के सुंदर मम्मे देख कर और सेक्सी फिगर देख कर सबकी आँखें चमक गईं।
बीवी ने खुद को देखा और जल्दी से पल्लू सही किया।
फिर वो लोग मेरे सामने बड़ी तमीज़ से एक-एक करके गुलाल लगाने लगे।
यह देख कर मैं भी इस सबको हल्के में लेकर निकल गया।
मेरे निकलते ही, एक ने हाथ में पक्का रंग लिया और बीवी की तरफ झपटा और मुँह पर रगड़ने लगा।
वो भागने लगी लेकिन चारों तरफ से उन्होंने घेर लिया था।
फिर तो बस उन्होंने पानी भरा और एक-एक करके बीवी को रंगने लगे।
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वो सब बीवी के चेहरे के अलावा गर्दन पर भी रंग लगा रहे थे और रंगों के पानी और बालों में रंग डाल रहे थे।
एक लड़के ने एक ट्यूब निकाली और पूरी ट्यूब का रंग हाथ में लेकर बीवी पर लगा दिया।
इस सब में सारे लौंडे मेरी बीवी के पास जाकर उससे चिपक रहे थे।
तभी एक ने पीछे से आकर उसकी छाती पर और ब्लाउज के अन्दर हाथ डाल दिया और रंग लगाने लगा।
वो चिल्लाने लगी, तो एक ने आकर मुँह पर रंग लगाने शुरू किया।
फिर तो उन्होंने उसके जिस्म का कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ा।
होली में इस चुदास से भरी छीना-झपटी में उसकी साड़ी उतर गई और ब्लाउज, पेटीकोट का रंग पूरा बदल गया था।
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सब लोग आकर उसके मम्मे और गाण्ड दबाते थे और उसके ब्लाउज के अन्दर हाथ डाल कर रंग लगा रहे थे।
कई लोगों ने तो सूखा रंग उसकी चड्डी तक में डाल दिया था।
कुछ ने तो उसकी चूत पर भी हाथ रगड़ दिया।
फिर वो बीवी को गले लग कर होली की मुबारक बाद देने लगे और बोले- मज़ा आ गया आज तो…
जब वो लोग हटे तब बीवी का हाल-बेहाल हो गया था, उसके गीले और रंगे हुए मम्मे, जो कि उसके तंग ब्लाउज से उभरे पड़ रहे थे।
गीला पेटीकोट जो कि गाण्ड से चिपक रहा था, उसे बहुत ही मादक बना रहा था और मोहल्ले के लोग भी छत पर आकर और बाल्कनी से इस सबका मज़ा ले रहे थे।
मेरी बीवी की हालत एक कुतिया के जैसी हो गई थी।
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उनके जाने के बाद बीवी ने साड़ी पहनी तभी मैं आ गया।
साथ में बॉस भी थे सभी सीधे अन्दर घुसे और वो बीवी को देख कर हँसने लगे और बोले- क्यूँ भाभी मज़ा आया ना…
मैं मानता हूँ कि मेरी बीवी की चुदाई जरूर नहीं हुई थी पर ये सब क्या किसी चुदाई से कम था। desikahani2