Antarvasna, kamukta: मैं कुछ दिनों के लिए अपने बिजनेस टूर के सिलसिले में गुड़गांव गया हुआ था और गुड़गांव में मैं करीब पांच दिन रुकने के बाद मैं वापस अहमदाबाद लौट आया था। जब मैं अहमदाबाद लौटा तो उस दिन पापा ने मुझसे कहा कि राजेश बेटा तुमसे मुझे कुछ बात करनी थी तो मैंने पापा से कहा हां कहिए ना पापा आपको क्या बात करनी है। वह मुझे कहने लगे कि हमारी एक पुरानी प्रॉपर्टी है जो कि वह बेचना चाहते थे मैंने पापा से कहा कि आखिर आप उसे बेचना क्यों चाहते हैं तो वह मुझे कहने लगे कि बेटा वह काफी समय से ऐसी ही पड़ी है और कोई उसकी देख रेख भी नहीं कर रहा है। मुझे उस प्रॉपर्टी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी लेकिन जब मुझे उस दिन पापा ने पहली बार इस बारे में बताया तो मैंने उन्हें कहा कि लेकिन आपने तो मुझे कभी उसके बारे में बताया ही नहीं था।
उन्होंने मुझे कहा कि हम लोगों ने वह प्रॉपर्टी अहमदाबाद से कुछ दूरी पर ली हुई है, मुझे पहली बार ही इस बारे में पता चला था। उस दिन पापा ने मुझे कहा कि हम लोग दो दिनों बाद वहां हो आते हैं मैंने पापा से कहा ठीक है और फिर दो दिन बाद मैंने अपने काम से समय निकालकर पापा के साथ जाने की सोची और फिर उस दिन हम दोनों साथ में प्रोपर्टी देखने गए। जब हम दोनों उस दिन साथ में गए तो मुझे पापा ने वह प्रॉपर्टी दिखाई और कहा कि बेटा यह प्रॉपर्टी मैंने काफी साल पहले खरीदी थी लेकिन इस प्रॉपर्टी को अभी तक हम बेच नहीं पाए हैं। मैंने पापा से कहा कि ठीक है मैं अपने दोस्तों से इस बारे में बात करता हूं। हम लोग उस दिन शाम के वक्त घर लौट आए, हम लोगो को वहां से लौटने में शाम हो गई थी और जब हम लोग घर पर आए तो पापा ने मुझे कहा कि अरे बेटा तुम उस प्रॉपर्टी के बारे में अपने दोस्तों से बात कर लेना। मैंने पापा से कहा ठीक है मेरे कुछ दोस्तों की प्रॉपर्टी का ही काम करते हैं। मैंने उनसे बात की जब उन लोगों से मैंने उस प्रॉपर्टी के बारे में बात की तो वह कहने लगे तुम्हें उसका उतना दाम तो नहीं मिल पाएगा लेकिन फिर भी हम लोगों उसे बिकवा जरूर देंगे।
मैंने पापा से इस बारे में बात की तो पापा ने कहा ठीक है बेटा तुम उसे बिकवा दो। मैंने उस प्रॉपर्टी का सौदा करवा दिया था प्रॉपर्टी बिक चुकी थी और उसके पैसे मिले थे। एक दिन मैं घर पर ही था उस दिन मेरी बड़ी बहन घर पर आई हुई थी। जब वह घर पर आई तो उस दिन मैंने अपनी बहन से कहा तुम काफी दिनों बाद घर पर आ रही हो। वह मुझसे कहने लगी राजेश तुम्हें तो पता ही है कि बच्चों की स्कूल और घर में कितना काम होता है इस वजह से मुझे बिल्कुल समय नहीं मिल पाता। मेरी बहन की शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं वह मेरे साथ ही बैठी हुई थी। वह मुझे कहने लगी राजेश तुम भी अब कोई अच्छी लड़की देख कर शादी कर लो तभी मम्मी आई वह कहने लगी हमने तो राजेश को कितनी बार कहा है लेकिन राजेश हमारी बात ही कहां सुनता है। मैंने मम्मी से कहा मम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं है आप लोगों ने जितनी भी लड़कियां मुझे दिखाई हैं उनमें से मुझे कोई भी लड़की पसंद नहीं आई। दीदी मुझे कहने लगी मैं तुम्हें आशा से मिलवाऊंगी तो तुम्हें आशा जरूर पसंद आएगी। मैंने दीदी को कहा लेकिन मैं तो आशा को जानता ही नहीं हूं। दीदी मुझे कहने लगी आशा हमारे ही पड़ोस में रहती है आशा को मैं काफी वर्षों से जानती हूं वह बहुत ही अच्छी लड़की है और तुम एक बार आशा से मिलोगे तो तुम्हें आशा जरूर पसंद आएगी। मैंने दीदी को कहा आशा मुझसे शादी करने के लिए क्या तैयार हो जाएगी? दीदी मुझे कहने लगी क्यों नहीं आखिर तुम अच्छा कमाते भी हो। मैंने दीदी से कहा ठीक है आप अब इस बारे में आशा से बात कर लेना। मुझे तो लगा था कि दीदी इस बात को भूल जाएंगे लेकिन जब कुछ दिनों बाद मुझे दीदी ने फोन किया तो उन्होंने मुझे घर पर बुला लिया। जब मैं दीदी से मिलने के लिए घर पर गया तो उस दिन दीदी ने आशा से मुझे पहली बार मिलवाया। मैं पहली बार आशा से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा। मुझे नहीं पता था कि आशा और मेरे बीच इतनी अच्छी दोस्ती हो जाएगी और पहली ही नजर में मैं आशा को पसंद कर बैठूंगा।
मैं चाहता था आशा से में मिलूंगा मैंने आशा से एक दिन मिलने का फैसला किया। उस दिन हम दोनों ने डिनर पर जाने का फैसला किया और हम दोनों साथ में डिनर पर गए। जब उस दिन हम दोनों साथ में डिनर पर गए तो मुझे आशा के साथ समय बिता कर बड़ा ही अच्छा लग रहा था और आशा भी बहुत ही ज्यादा खुश थी। मैंने आशा को कहा चलो यह तो बडी ही अच्छी बात है कि आज तुम्हारे साथ मुझे समय बिताने का मौका तो मिल पाया। जब मैंने आशा को कहा आज मैं तुमसे मिलकर बहुत ही खुश हूं तो आशा मुझे कहने लगी राजेश मैंने जब तुम्हें पहली बार देखा था तो मुझे तुम पहले ही नजर में अच्छे लगे थे। मैंने अब आशा को अपने दिल की बात कह दी। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ डिनर किया उस दिन हम दोनों ने एक दूसरे से अपने दिल की बात कह दी थी। मैं चाहता था जल्द से जल्द मैं आशा से शादी कर लूं और इसके लिए मैंने दीदी से कहा। दीदी ने आशा के परिवार वालों से बात की और अब मैंने भी अपने पापा मम्मी से बात कर ली थी उन्हें तो आशा पसंद थी क्योंकि मैं उन्हें आशा की तस्वीर पहले ही दिखा चुका था और उन्होंने आशा को पसंद कर लिया था।
हम दोनों अब एक होने वाले थे मैं जब आशा के परिवार वालों से मिला तो उन्होंने मुझसे आशा की शादी करवाने का फैसला कर लिया था। मैं बहुत ही खुश था और अब पापा मम्मी भी इस बात के लिए तैयार हो चुके थे। हम दोनों की सगाई हो गई हम दोनों की सगाई हो जाने के बाद हम दोनों एक दूसरे से फोन पर काफी बातें करने लगे थे। हम दोनों की फोन पर बहुत बातें हुआ करती हम घंटा तक एक दूसरे से फोन पर बातें किया करते। मुझे आशा से फोन पर बातें करना अच्छा लगता आशा को भी मुझसे फोन पर बातें करना बहुत ही अच्छा लगता। आशा और मेरी फोन पर बहुत बातें होती थी। हम दोनों एक दूसरे से काफी बातें किया करते एक दिन आशा और मैंने मिलने का फैसला किया। उस दिन मैं आशा को मिलने के लिए उसके घर पर चला गया। जब मैं आशा को मिलने के लिए उसके घर पर गया तो उसके घर पर कोई भी नहीं था। मैंने आशा से पूछा आज कोई घर पर नहीं है? वह मुझे कहने लगी नहीं आज कोई भी घर पर नहीं है। हम दोनों साथ में बैठे हुए थे हम दोनों को बातें करना अच्छा लग रहा था। जब मेरा हाथ आशा के स्तनों पर पड़ा तो आशा को अच्छा लगने लगा और मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने आशा के स्तनो को दबाया तो मेरे मन मे आशा को लेकर एक अलग ही भावना जाग चुकी थी। मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता था। आशा मुझसे अपनी चूत मरवाने के लिए तड़प रही थी। मैंने आशा को कहा मैं तुम्हारी चूत मारने के लिए तैयार हूं मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए तो वह मुझे अपने साथ अपने बेडरूम में ले गई। जब हम लोग बेडरूम मे गए तो मैं उसके बदन को बड़े अच्छे तरीके से महसूस करने लगा था और उसके होठों को मैं चूमने लगा। उसके होठों को चूमकर मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैं उसकी चूत मारने के लिए तैयार था मैंने उसके बदन को महसूस करना शुरू कर दिया था। उसका गोरा बदन बडा लाजवाब है। वह भी मेरे लंड को अपने मुंह में लेना चाहती थी आशा ने मेरे लंड को बाहर निकाला तो उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेना शुरु किया।
उसे बड़ा मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत ही अच्छा महसूस होने लगा था। मैंने उसके अंदर की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया था। मैंने आशा को कहा तुम ऐसे ही मेरे लंड को चूसते रहो। वह मेरे मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर अच्छे से चूस रही थी। मेरे अंदर की आग अब इतनी ज्यादा बढ़ने लगी थी कि वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की आग बहुत ज्यादा ही बढ़ चुकी है। मैंने आशा के बदन से सारे कपड़े उतार दिए मै उसकी चूत को चाटने लगा था। जब मैं आशा की चूत को चाटने लगा तो मुझे इतना मजा आने लगा था कि मेरे अंदर की गर्मी बहुत बढ़ने लगी थी। आशा की चूत से निकलता हुआ पानी बढ़ चुका था मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता हूं।
मैंने अपने लंड को आशा की चूत के अंदर डाल दिया था। मेरा मोटा लंड आशा की चूत के अंदर चला गया तो वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकडने लगी। उसके अंदर की आग बहुत ज्यादा बढ़ गई थी मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा। मैंने आशा को तेजी से धक्के मारने शुरू किए आशा की चूत से खून निकल रहा था। करीब 5 मिनट की चुदाई का आनंद लेने के बाद मेरा माल बाहर गिर गया जैसे ही मेरा माल गिरा तो आशा को मजा आ गया और उसकी चूत का भोसडा बनाने मे मुझे जो मजा आया उसका जवाब नही था। उसके बाद मैने आशा को कहा मुझे तुम्हे दोबारा चोदना है आशा तैयार थी और मैने उसे दोबारा चोदा। उसको बहुत मजा आया जब मैने उसे चोदा हम दोनो ने दो बार और सेक्स का मजा लिया। आशा और मेरी अब शादी हो चुकी है।