लंड ने मेरी चूत की झिल्ली को उखाड़ फेंका

लंड ने मेरी चूत की झिल्ली को उखाड़ फेंका

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मेरा नाम वर्षा है मैं लखनऊ की रहने वाली हूं। मेरी उम्र 27 वर्ष है। मेरे पिताजी स्कूल में प्यून है और उन्होंने मेरी बहन की शादी में जितना उनसे बन सकता था उन्होंने पूरा खर्च किया। मेरी बहन का नाम किरण है। मेरी भी अब उम्र हो चुकी है इसलिए मेरे लिए भी बहुत अच्छे रिश्ते आ रहे हैं लेकिन सब लोग दहेज की मांग कर रहे हैं इसलिए मेरी कहीं शादी नहीं हो पा रही। जब भी मेरे पापा अपने काम से घर लौटते हैं तो वह काफी थके हुए होते हैं और ना चाहते हुए भी उनके मुंह से यह बात निकल जाती है कि मुझसे जितना बन सकता था मैंने किरण की शादी में किया और तुम्हारी शादी के लिए भी मैं कोई कमी नहीं करना चाहता। मैं अपने पापा से कहती हूं कि आप बेकार में इन सब चीजों के बारे में ना सोचो तो ही अच्छा होगा, वह सब तो हो जाएगा। मैंने अपने पापा से कहा कि मैं उसी लड़के से शादी करुँगी जो दहेज नहीं मांगेगा।
मेरे पापा कहने लगे बेटा आजकल ऐसा संभव नहीं है ऐसा लड़का मिलना मुश्किल है। मैंने अपने पिता से कहा देखते हैं ऐसा लड़का कहीं तो होगा जो हमें मिलेगा। मेरे पापा कहने लगे तुम्हें पता नहीं कितने रिश्ते आये मुझे तो याद भी नहीं है लेकिन सब लोगों की तो इतनी डिमांड होती है कि मैं उनकी डिमांड पूरी नहीं कर सकता। जब कि तुम्हारे अंदर कोई भी कमी नहीं है तुम अच्छी पढ़ी-लिखी हो और हम लोगों ने तुम्हें अच्छे संस्कार भी दिए हैं। मैंने अपने पापा से कहा कि आप इन सब चीजों के बारे में मत सोचिए। पापा कहने लगे बेटा मैं क्यों ना सोचू अब तुम्हारी उम्र भी होती जा रही है और एक बार तुम्हारी उम्र निकल गई तो तुमसे कोई भी शादी नहीं करेगा। मैंने भी गुस्से में उस दिन अपने पापा को कह दिया कि कोई मुझसे ना शादी करें मैं आप लोगों की सेवा कर लूंगी और अपने जीवन को आपकी सेवा करके ही बिता दूंगी।
यह कहते हुए मैं अपने कमरे में चली गई और मैं रोने लगी। मेरे पीछे पीछे मेरी मम्मी भी आ गई और वह कहने लगी कि बेटा तुम अपने पापा से इस बारे में मत कहा करो। वह भी बहुत परेशान रहते हैं और तुम्हें पता है कि यदि लड़की किसी अच्छे घर नहीं गई तो सारे रिश्तेदार कितने ताना देते हैं। तुम तो इस बात को जानती ही हो। मैंने अपनी मम्मी से कहा आप यह तो ठीक कह रही हैं लेकिन मैं पिताजी को ऐसे दुखी नहीं देख सकती इसीलिए तो मैं उनसे कह रही हूं कि आप मेरी शादी की चिंता मत कीजिए। मेरी मम्मी कहने लगी बेटा चिंता तो होती ही है अब तुम दोनों ही तो हमारी लड़की हो। किरण की तो हमने जैसे कैसे शादी करवा दी लेकिन अब तुम्हारी शादी का सारा दारोमदार हमारे कंधों पर ही तो है यदि हम तुम्हारी शादी नहीं करवाएंगे तो कौन करवाएगा। यह कहते हुए मम्मी काफी भावुक हो गई।  मैंने उन्हें कहा कि आप चिंता मत कीजिए। ठीक है मैं आगे से इस बारे में कभी भी नहीं कहूंगी। एक दिन मेरी बहन का फोन आया और वह कहने लगी कि आप कुछ दिनों के लिए वर्षा को मेरे पास भेज दीजिए। मेरी मम्मी कहने लगी बेटा तुम्हे कुछ काम है तो हम लोग आ जाते हैं। वह कहने लगी नहीं वर्षा को ही हमारे पास भेज दीजिए। मेरी मम्मी ने मुझे कहा कि किरण तुम्हें अपने घर आने के लिए कह रही है। पता नहीं उसे ऐसा क्या काम है। मैं जब अपनी बहन के घर गई तो उसने मुझे बताया कि तुम मौसी बनने वाली हो। मैं बहुत खुश हो गई। मैंने किरण से कहा तुमने यह बात मम्मी को क्यों नहीं बताई। वह कहने लगी मुझे उनसे कहना अच्छा नहीं लग रहा था। तुम उनसे यह बात कह देना और तुम कुछ दिन मेरे पास ही रखोगी। मैंने कहा ठीक है मैं तुम्हारे पास ही कुछ दिन रुक जाती हूं। मैंने अपनी मम्मी को फोन किया और कहा कि मम्मी अब तुम नानी बनने वाली हो। मेरी मम्मी बहुत खुश हो गई और कहने लगी क्या किरण मुझसे यह बात नहीं कह सकती थी। मैंने मम्मी से कहा उसे आपसे कहने में शर्म आ रही है इसलिए उसने आपसे यह बात नहीं कही। मैं भी बहुत खुश थी। मैंने अपने जीजा जी से कहा कि आज आप की तरफ से पार्टी होगी। वह कहने लगे ठीक है आज मेरी तरफ से पार्टी होगी। वह शाम को हमें डोमिनोज में ले गये और वहां पर हम लोगों ने पिज़्ज़ा खाया। मेरी बहन ने तो नहीं खाया वह कहने लगी कि मुझे नहीं खाना मेरा मन नहीं है। मैं अब अपनी बहन के घर पर ही रहने लगी थी लेकिन उसकी सास मुझे बिल्कुल पसंद नहीं करती।
एक दिन मेरे जीजा के चाचा का लड़का उनके घर पर आया हुआ था उसका नाम मुकेश है। वह बहुत ही अच्छा है और मुझे वह अच्छा भी लगता है लेकिन उसके दिल में मेरे लिए ऐसा कुछ भी नहीं था इसलिए मैंने उससे कभी भी इस बारे में बात नहीं की। हम दोनों की बातें तो होती हैं लेकिन इस बार उसका झुकाव मेरी तरफ होने लगा था और वह मुझ पर कुछ ज्यादा ही लाइन मारने लगा। मैंने सोचा कि क्या पता वह मेरे साथ ऐसे ही मस्ती कर रहा हो लेकिन वह मेरे लिए काफी सीरियस था। एक दिन हम लोग साथ में बैठे हुए थे तो वह कहने लगा कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। मैंने उसे सारी बात बता दी और कहा कि मेरे पिताजी दहेज देने में सक्षम नहीं है यदि तुम मेरे साथ ऐसे ही शादी कर सकते हो तो कर लो। वह कहने लगा मुझे कोई दिक्कत नहीं है। अब हम दोनों साथ में बैठकर समय बिताते लेकिन मेरे जीजाजी की मां को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था और एक दिन उन्होंने मुझे इस बात के लिए डांट भी दिया। मुझे उस दिन बहुत बुरा लगा। जब यह बात मुकेश को पता चली तो वह मुझसे मिलने आया और मुझे कहने लगा मैं तुमसे प्रेम करता हूं।
उसने मेरे हाथ को पकड़ते हुए मुझे अपनी बाहों में ले लिया। जब मुकेश ने मुझे अपनी बाहों में लिया तो मैं भी उसकी बाहों में अपने आपको बहुत अच्छा महसूस कर रही थी। उसने जब मेरे होठों को चूमा तो मैंने उसे कहा कम से कम तुम दरवाजा तो बंद कर लो। वह कहने लगा ठीक है मैं दरवाजा बंद कर देता हूं उसने दरवाजा बंद कर दिया। वह मेरे होठों को किस करने लगा जब वह मेरे होठों को किस कर रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। वह मेरे होठों को काफी देर तक किस करता रहा जब मैं पूरी तरीके से गर्म हो गई तो मैंने अपने कपड़े खोल दिया। वह अपने आप को ना रोक सका वह मेरे ऊपर से लेट गया और मेरे स्तनों को उसने चूमना शुरू कर दिया। वह मेरे स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूस रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। उसने मेरे स्तनों पर अपने दांत के निशान भी मार दिए। उसने मेरे पेट को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई। उसने मुझे ऐसे चूसा जैसे वह काफी समय से भूखा बैठा हुआ हो और उसने मेरी योनि को पूरी तरीके से चाट कर गिला कर दिया। जब उसने। अपने लंड को बाहर निकाला तो मैं डर गई। मैं सोचने लगी मैं इतने मोटे लंड को अपनी चूत के अंदर कैसे लूंगी लेकिन मैंने हिम्मत करते हुए उसके लंड को अपनी योनि पर लगा दिया। उसने मुझे कहा तुम अपने पैरों को खोल लो उसने मेरे पैरों को खोला और उसने धीरे धीरे मेरी गीली चूत के अंदर अपने लंड को डालने की कोशिश की उसे बहुत ज्यादा मेहनत करनी पडी जब उसका लंड मेरी योनि में अंदर जा रहा था तो मेरी झिल्ली भी टूट गई और जैसे ही मेरी चूत की झिल्दी टूटी तो मुझे बहुत दर्द महसूस हुआ मेरी योनि से खून बहने लगा। वह मुझे कहने लगा आज मैंने तुम्हारे साथ सुहागरात मना ली मुझे तुम्हें चोदकर बहुत अच्छा लग रहा है। उसका लंड जब मेरी योनि के अंदर बाहर होता तो मेरी चूत से भी तरल पदार्थ बाहर की तरफ गिरने लगा। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा मेरी चूत पूरी तरीके से चिकनी हो गई। जैसे ही मैं झड़ने वाली थी तो मैंने अपने दोनों पैर के बीच मे मुकेश को जकड लिया मैंने उसे अपने दोनों पैरों के बीच में इतने कसकर जकड़ा वह हिल भी नहीं पा रहा था लेकिन उसने भी पूरी ताकत से मुझे धक्के देना शुरू कर दिया। उसने इतनी तेज गति से मुझे धक्के मारे जैसे ही उसका वीर्य मेरी योनि के अंदर गिरा तो मुझे बहुत अच्छा लगा। जब उसने अपने लंड को मेरी योनि से बाहर निकाला तो मैंने उसे कहा मुझे आज तुम्हारे साथ सेक्स कर के बहुत अच्छा लगा।