लंड चूत के लावे को झेल नहीं पाया

लंड चूत के लावे को झेल नहीं पाया

Antarvasna, kamukta: मैं अपने भैया के साथ दिल्ली रहने के लिए चला गया दिल्ली में मैं भैया के साथ नौकरी करने लगा था मैं जिस जगह नौकरी करता था वहां से मैं हर रोज बस से ही घर लौटा करता था। एक दिन मैं बस का इंतजार कर रहा था उस दिन शाम के करीब 7:00 बज रहे थे और मैं बस का इंतजार कर रहा था जैसे ही बस आई तो सब लोग बस में चढ़ने लगे। शाम के वक्त बहुत ज्यादा भीड़ थी इसलिए मुझे बैठने के लिए सीट तो नहीं मिल पाई लेकिन किसी प्रकार से मैं बस में चढ़ चुका था और फिर मैंने कंडक्टर से टिकट कटवाया। मैं जब शाम के वक्त घर लौटा तो मैंने देखा भाभी घर पर ही थी मैंने उन्हें कहा कि भाभी क्या भैया अभी ऑफिस से लौटे नहीं है तो वह मुझे कहने लगी कि नहीं आज वह देर से आएंगे उन्हें कुछ जरूरी काम है इसलिए उन्हें आज ऑफिस से आने में देर हो जाएगी। भैया ऑफिस से देर में आने वाले थे इसलिए मैंने खाना खा लिया था और भाभी अभी भी भैया का इंतजार कर रही थी रात के करीब 10:00 बज चुके थे लेकिन अभी तक भैया ऑफिस से नहीं लौटे थे।
मैंने भैया को फोन किया भैया ने कहा कि बस थोड़ी देर बाद मैं घर आ रहा हूं और थोड़ी देर बाद वह घर आ गए। जब वह घर पहुंचे तो मैंने उन्हें कहा कि भैया आज आप काफी देर से आ रहे हैं तो वह मुझे कहने लगे कि ऑफिस में कुछ जरूरी काम था तो ऑफिस से आने में देर हो गई और मैंने बाहर से ही खाना खा लिया था लेकिन भाभी अभी भी भूखी थी उन्होंने खाना नहीं खाया था तो भाभी ने उसके बाद खाना खाया। मुझे बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी मैं कुछ देर के लिए छत पर चला गया, मैं छत में बैठा हुआ था कुछ देर तक छत में बैठने के बाद मैं वापस आ गया और फिर मैं सो गया। अगले दिन सुबह मैं अपने ऑफिस के लिए निकला मैं अपने ऑफिस समय पर पहुंच गया था लेकिन कुछ दिनों के लिए हमें अपनी ट्रेनिंग के लिए मुंबई जाना था। मैं जब उस दिन घर लौटा तो मैंने यह बात भाभी को बताई भैया भी उस दिन घर पर ही थे भैया ने मुझे कहा कि रोहन तुम मुंबई से वापस कब लौटोगे। मैंने भैया से कहा कि भैया वहां से मैं करीब 15 दिनों बाद ही वापस लौट पाऊंगा क्योंकि हमारी वहां पर कुछ जरूरी ट्रेनिंग है और 15 दिनों बाद ही मेरा वापस लौट ना हो पाएगा।
भैया ने मुझे कहा कि यदि कोई परेशानी होगी तो मुझे बता देना मैंने भैया को कहा हां भैया जरूर मैं आपको बता दूंगा वैसे तो कंपनी ने सारा कुछ अरेंजमेंट किया हुआ है। कुछ दिनों बाद मैं मुंबई चला गया मुंबई में करीब 15 दिन की ट्रेनिंग थी 15 दिन पता नहीं कैसे कटे मुझे कुछ पता ही नहीं चला। आखरी दिन हम लोग मुंबई घूमने के लिए गए और अगले दिन हम लोग वापस दिल्ली लौट आए थे दिल्ली लौटने के बाद अब हर रोज की तरह सुबह ऑफिस जाना और शाम को और घर लौटना, जिंदगी में कुछ नया नहीं हो रहा था। इसी बीच मैंने एक दिन सोचा कि मैं कुछ दिनों के लिए अपने माता-पिता से मिल आता हूं और मैं कुछ दिनों के लिए अपने माता-पिता से मिलने के लिए अपने गांव चला गया। कुछ दिनों की मैंने छुट्टी ली थी और थोड़े दिनों तक मैं अपने माता-पिता के साथ रहने के बाद वापस दिल्ली लौट आया था और दोबारा से ऑफिस में काम करने लगा। मेरी जिंदगी में कुछ भी नया नहीं था क्योंकि सुबह मैं ऑफिस जाता और शाम को घर लौट आता। एक दिन मेरा दोस्त मुझे दिखा वह मेरे साथ स्कूल में पढ़ाई करता था उस दिन मैं अपने ऑफिस से लौट रहा था तो वह मुझे दिख गया उसका नाम रमेश है। रमेश को मैंने कहा तुमसे तो काफी सालों बाद मेरी मुलाकात हो रही है तो वह मुझे कहने लगा कि हां रोहन स्कूल के बाद तो हम लोग कभी मिले ही नहीं। पहले मैं उसे पहचान नहीं पाया था लेकिन जब उसने मुझे याद दिलाया कि हम लोग साथ में पढ़ते थे तो मुझे ध्यान आया कि हां रमेश मेरे साथ स्कूल में पढ़ा करता था रमेश पूरी तरीके से बदल चुका था। मैंने उसे पूछा लेकिन तुम दिल्ली में क्या कर रहे हो तो उसने मुझे बताया कि वह नौकरी की तलाश में है और अभी तक उसे कहीं नौकरी नहीं मिल पाई है। मैंने उसे कहा तुम चिंता मत करो तुम्हें जल्दी नौकरी मिल जाएगी उसने मुझसे मेरा नंबर मांगा और मैंने उसे अपना नंबर दे दिया। मैंने रमेश को कहा जिस दिन तुम फ्री रहोगे उस दिन मुझे फोन करना तो रमेश मुझे कहने लगा मैं तो आजकल फ्री ही हूं फिलहाल तो मैं कहीं नौकरी नहीं कर रहा हूं और अभी मैं नौकरी की तलाश में हूं।
मैं भी बस से उतर चुका था और मैं जब घर पहुंचा तो थोड़ी देर बाद भैया भी घर पर आ चुके थे। एक दिन मुझे रमेश का फोन आया और उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया उस दिन रविवार था उस दिन मेरे पास भी टाइम था तो मैं उससे मिलने के लिए चला गया। जब मैं उससे मिलने के लिए गया तो उसने मुझे बताया कि उसकी नौकरी लग चुकी है मैंने रमेश को इसके लिए बधाई दी और कहा कि चलो यह तो बड़ी खुशी की बात है कि तुम्हारी नौकरी लग चुकी है। वह मुझे कहने लगा लेकिन उसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी और इतने लंबे इंतजार के बाद मुझे नौकरी मिली है। मैंने रमेश को कहा की तुम किसके साथ रहते हो तो उसने मुझे बताया कि वह अपने किसी रिश्तेदार के घर पर रहता है लेकिन जल्द ही वह कहीं और शिफ्ट करने के बारे में सोच रहा है। मैंने उसे कहा कि मैं अब घर चलता हूं क्योंकि काफी देर हो गई है तो रमेश मुझे कहने लगा ठीक है रोहन हम लोग दोबारा कभी और मिलेंगे। मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हें फोन कर दूंगा जिस दिन मैं फ्री रहूंगा। उसके बाद मैं अपने घर लौट चुका था। अपने घर लौट जाने के बाद मैं खाना खाकर जल्दी सो गया था मैं अपने ऑफिस से लौट रहा था।
मैंने उस दिन एक बड़ी सुंदर सी लड़की को देखा उसका गोरा रंग देखकर मैं उस पर फिदा हो गया मैं उसके बारे में जानता नहीं था लेकिन जिस कॉलोनी में मैं रहता था उसमें मै अक्सर उस आते जाते देखता था। मैंने उसका नंबर निकालने का फैसला कर लिया था और आखिरकार उसका नंबर मैंने ले लिया उसका नाम मीनाक्षी है। मीनाक्षी रंग रूप से बहुत ज्यादा सुंदर है और मीनाक्षी से मैं बातें करने लगा था मीनाक्षी और मेरी बातें होने लगी थी। उसने मुझे बताया उसका कुछ समय पहले ही ब्रेकअप हुआ है मेरे लिए तो यह बहुत ही अच्छा था हम दोनो एक दूसरे के साथ अपना ज्यादा से ज्यादा समय बिताने की कोशिश करने लगे थे। मीनाक्षी मेरे करीब आने लगी अब वह मेरे इतने करीब आ चुकी थी कि वह मुझ पर पूरी तरीके से भरोसा करने लगी थी। हम दोनों अक्सर एक साथ घूमने के लिए भी जाया करते और हम लोग मूवी देखने के लिए भी जाते थे। मुझे और मीनाक्षी को एक दूसरे के साथ बहुत ही अच्छा लगता एक दिन हम लोग मूवी थिएटर में बैठे हुए थे उस दिन जब मैंने मीनाक्षी के होठों को चूमना शुरू किया तो वह अपने आपको बिल्कुल भी रोक ना पाई उसने मेरे लंड को कसकर अपने हाथों से पकड़ लिया था। अब जैसे हम दोनों एक दूसरे से सेक्स की बातें खुलकर करने लगे थे। मुझे यह भी पता था कि वह मेरे लंड को चूत में लेने के लिए तड़पने लगी है हम दोनों एक दूसरे को अपना बनाना चाहते थे। एक दिन मीनाक्षी ने मुझे कहा कि हम लोगों को कहीं अकेले में समय बिताना चाहिए उस दिन हम दोनों ने अकेले में समय बिताने का निर्णय किया हम दोनों मेरे एक दोस्त के घर चले गए। जब हम लोग मेरे दोस्त के घर गए तो मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जब मीनाक्षी मेरे साथ थी तो मीनाक्षी और मैं एक दूसरे को बड़े ही अच्छे से महसूस कर रहे थे हम दोनों एक दूसरे को होठों को चूमने लगे थे मुझे बहुत मज़ा आने लगा था मेरे अंदर की गर्मी अब बढ़ने लगी थी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था।
मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया था मीनाक्षी ने उसे लपकते हुए अपने मुंह के अंदर समा लिया मेरे लंड को वह बडे अच्छे तरीके से चूसने लगी मेरे लंड को वह जिस प्रकार से चूस रही थी उससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। उसने मुझे कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मेरे अंदर की आग अब बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मीनाक्षी भी कहीं ना कहीं झेल नहीं पा रही थी अब मैंने उसकी चूत को चाटकर पूरी तरीके से चिकना बना दिया था हालांकि मीनाक्षी ने मुझे बताया कि उसने पहले अपने बॉयफ्रेंड के साथ भी संभोग किया है लेकिन मुझे उससे कोई दिक्कत नहीं थी अब मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सटाया तो उसकी चूत से पानी बाहर निकलने लगा मुझे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था उसकी चूत से इतना अधिक पानी निकलने लगा था कि मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी।
मैंने एक ही झटके में मीनाक्षी की चूत के अंदर लंड को घुसया मेरा लंड उसकी चूत में घुसा तो मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था। मैं उसको बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा था मुझे उसको चोद कर बहुत मजा आ रहा था जिस प्रकार से मैं उसे चोद रहा था उससे मेरे अंदर की आग बढ़ती जा रही थी मेरे अंदर की गर्मी अब इतनी बढ चुकी थी कि मैंने उससे कहा मुझे बहुत मजा आ रहा है। मैंने उसको बहुत देर तक चोदा जब मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था तो मुझे एहसास होने लगा कि मैं ज्यादा देर तक मीनाक्षी की गर्मी को झेल नहीं पाऊंगा उसने मुझे अपने पैरों के बीच में कसकर जकडना शुरू कर दिया। उसकी चूत का गर्म लावा भी इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि वह मेरे लंड को गर्म कर रहा था मैंने अपने वीर्य की पिचकारी से उसकी चूत की गर्मी को शांत कर दिया।