मेरी जिन्दगी का सबसे सुहाना सफ़र
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मेरा नाम राजेश है और मैं अंबाला शहर में रहता हूं। हमारे घर के पास ही एक गर्ल्स हॉस्टल है। मैं एक शादीशुदा युवक हूं नौकरी करता हूं। मेरी नौकरी शहर में ही थी तो मैं अक्सर लोकल ट्रांसपोर्ट से ही सफर करता हूं। जब मैं शाम को ऑफिस से घर आता हूं मे अक्सर उस गर्ल्स हॉस्टल की छत पर देखता हू कि वहां पर कई सारी चूते घूमती रहती हैं। मेरा भी मूड खराब हो जाता था। और मैं घर जाकर अपने बीवी की चूत मारकर संतुष्ट हो जाता था। क्योंकि मेरे पास वही एकमात्र चूत थी। लेकिन मैं चाहता था एक साथ कईयों कि लू इसीलिए मेरे मन में हमेशा इच्छा होती रहती थी। कि कुछ नया करो लेकिन मेरी इच्छा कि बस एक सपना ही बनकर रह गई थी। किंतु मुझे नहीं पता था कि एक दिन वह सच हो जाएगी। मैं शाम को रोज की तरह अपने ऑफिस से घर लौट रहा था। तभी हॉस्टल की लड़की भी एक दुकान पर सामान लेने के लिए आई और संयोग से मैं भी उसी दुकान पर सामान ले रहा था। तभी उस दुकानदार ने भी बोल दिया अरे क्या तुम पास के गर्ल्स हॉस्टल में रहते हो। फिर क्या था जैसे मानो मैं तो खुशी हो गया और उस लड़की के पीछे पीछे उसके हॉस्टल तक चला गया।
जब वह लड़की मेरी आंख जा रही थी तो उसका पर्स नीचे गिर गया था। फिर मैंने उस लड़की को आवाज़ देकर रोका और कहा मैडम आपका पर्स गिर गया है मैंने उसका पर्स उठाकर उसके हाथ में दिया। जिससे वह बहुत ही खुशियां हो गई और कहने लगे आप तो बहुत ही ईमानदार है। और मुझे धन्यवाद किया मैंने कहा इसमें धन्यवाद की कोई बात नहीं है यह तो मेरा फर्ज था। फिर तो वह लड़की भी मुझसे मुस्कुरा कर बात करने लगी और मैंने बातों बातों में उस लड़की का नाम पूछ लिया उसने अपना नाम सपना बताया।। इतनी सी बात के बाद वह मुझे धन्यवाद कहते हुए अपने हॉस्टल में चली गई। मैं भी अपने घर चला गया और मैंने सपना के नाम की चूत अपनी बीवी की चूत मारकर की उसके बाद मेरा शांत हो गया। यह बहुत ही अच्छा अनुभव था।
अगली सुबह में अपने ऑफिस के लिए घर से निकला मुझे सपना दिखाई दे गई। सपना के साथ में दो और चूत थी। तीनों ने काले चश्मे पहने हुए थे गर्मियों का दिन था शायद इसी वजह से सपना ने मुझे अपनी सहेलियों से परिचित करवाया और कहा कल इन्होंने ही मेरा फर्श मुझे लौटया था। इनका नाम राजेश है और यह काफी ईमानदार व्यक्ति हैं और यह हमारे हॉस्टल के सामने ही रहते हैं। सपना ने अपनी सहेलियों से मेरा परिचय करवाया एक का नाम मीनू और दूसरी का आशा था। हम दोनों ने मुझसे हाथ मिलाया उनके हाथ बड़े ही कोमल थे। उन तीनों ने पटियाला सूट पहन रखा था। मैं तो उन तीनों के स्तनों के उभार देख रहा था। यह मेरे लिए बहुत ही खुशी की बात थी कि मेरी उन तीनों से मुलाकात हुई। सपना ने मुझे कहां आज मेरा जन्मदिन है। हम लोगों ने एक पार्टी रखी है तो आपको जरूर आना होगा। मैं खुश हो गया और बोलने लगा ठीक है मैं जरूर आऊंगा मुझे आप बता दीजिए कहां पर आना है। उन्होंने बोला पास के ही एक हॉल में रखवाया है। मैंने कहा ठीक है मैं शाम को पहुंच जाऊंगा। जाते-जाते मैंने सपना से कहा कि आप मुझे टाइम बता दीजिए कितने बजे तक आना है।
सपना ने कहा आप शाम 7:00 बजे तक पहुंच जाइएगा। आज मैं ऑफिस से घर जल्दी आ गया और तैयार होकर 7:00 बजे से 10 मिनट पहले उस पार्टी हॉल में पहुंच गया। जहां पर मैंने देखा गर्ल्स हॉस्टल की सारी लड़कियां आई हुई थी। मै इतनी सारी को देख कर खुशी से फूला नहीं समा रहा था। मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या बोलूं तब सपना ने नहीं मेरा परिचय सब लोगों से करवाया। मैं सपना के लिए एक गिफ्ट लेकर गया था जो मैंने उसे दिया। सपना ने मुझे कहा अरे राजेश जी आप यह क्यों लाए हैं। मैंने कहा पहले तो आप मुझे राजेश जी बोलना बंद करें सिर्फ राजेश बोलें सपना ने बोला ठीक है मैं आपको राजेश ही बोलूंगी। वहां पर दिखा दो उन लड़कियों के साथ उनके बॉयफ्रेंड भी आए हुए थे। सपना ने केक काटा और मुझे भी एक पीस उसने खिलाया अपने हाथों से मैं अति प्रसन्न था। फिर सब लोगों ने ड्रिंक्स लेनी शुरू कर दी मैंने भी अपनी जेब से सिगरेट निकाली और पीने लगा। तब सपना कि वह दोनों दोस्त भी मेरे पास आ गए और बोलने लगे अरे आप भी सिगरेट पीते हैं।
मैंने कहा जी मैं भी सिगरेट पीता हूं। फिर सपना ने मुझे सिगरेट मांगी और बहुत दिनों सिगरेट पीने लगी। मैं यह देख कर थोड़ा स्तभ रह गया था। फिर आशा ने मुझे बोला अरे राजेश चलो ड्रिंक लेते हैं। हम तीनों ने ड्रिंक्स पी और वहां बैठकर बातें करने लगे। बाकी सारी लड़कियां अपने अपने बॉयफ्रेंड के साथ थी। अब सपना मीनू और आशा को शराब चढ़ने लगी थी। और बोलने लगी यार हम तीनों का तो कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं है। कभी आशा को बहुत ज्यादा छोड़ चुकी थी आशा ने मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर रोने लगी। मैंने अभी उसको सहानुभूति देते हुए उसके कमर पर हाथ रख दिया। उसके बाद वह दोनों भी मेरे से चिपक पड़ी। और बोलने लगी हमें भी तुम्हारी सहानुभूति की जरूरत है। मैं अब उनके इशारे समझ चुका था। मैंने उन तीनों को कहा चलो रूम में चलते हैं। और बहुत दिनों मेरे साथ रूम में आ गई। हम लोग बिस्तर पर एक दूसरे के सर पर सर रखकर लेटे हुए थे।
आशा को सबसे ज्यादा नशा हो रखा था। उसने मेरे पैंट की जीप खोलकर मेरा लंड निकाल लिया। और उसको हिलाने लगी यह देख कर सपना और मीनू भी मेरे लंड पर झपट पड़ी। फिर क्या था तीनों ने बारी-बारी से मेरे लंड को अपने मुंह में लिया मुझे यह देख कर अच्छा लग रहा था। मैंने उन तीनों के कपड़े उतारना शुरू किये मुझे काफी समय लगा यह करने में क्योंकि वह तीनों नशे में थी। अब तुम आना मेरे सामने चूतो का मेला लगा वह हो ऐसा प्रतीत हो रहा था। यह मेरे लिए किसी सपने के पूरे होने जैसा था। तीनों की तीनों किसी हसीना से कम नहीं थी वह तीनों एक दूसरे को टक्कर दे रही थी। किसी का 34 किसी का 35 था। और उनकी कमसिन चूत के क्या बोलना एक से बढ़कर एक लाल और पिंक कलर की थी। यहां देख मैं तो खुश हो रहा था। कसम से मजा आ रहा था। उन तीनों ने मेरे सामने एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया और एक दूसरे की चूत मैं उंगलियां डालने लगी। वह तीनों आपस में ही आनंद ले रही थी। और उन तीनों की गांड 38 के आसपास की थी । मुझ पर झपट गई और मेरे लंड को चुस चुस कर पस्त कर दिया। मैंने अपना माल तीनों ऊपर बराबर छिड़का।
बहुत दिनों जहां जहां पर भी मेरा वीर्य गिरा था उसको अच्छे से चाटने लगे थोड़ा-बहुत वहां जमीन पर भी गिरा हुआ था उन्होंने उसको भी नहीं छोड़ा। बहुत ही जंगलीपन था उन तीनों में कसम से इतना लड़कों में भी नहीं होता। उसके बाद मैंने उनकी कमसीन और रसभरी चूत को बारी-बारी से चोदा तीनों ने एक से बढ़कर एक थी। मैं तो धक्के मारता ही वह भी अपना झटका मारना चालू रखती। फिर मैंने उन तीनों को उनके मुंह के बल लिटा दिया। और एक-एक करके तीनों की गांड में अपना 10 इंची लोड़ा डाला। तब वह तीनों चिल्लाने लगी। मैंने उन तीनों की गांड से खून निकाल दिया था। तब जाकर वह तीनों थोड़ा शांत हुई नहीं तो वह मुझे ही मेरे लंड समेत खा जाती।
जब तीनो की गांड से खून आ चुका था तो मैंने तीनों की गांड में अपना वीर्य डाला जिससे उन्हें थोड़ा राहत मिली और वह खुश हो गई। उनको देखकर मेरी प्यास नहीं बुझी थी तो मैंने तीनों के साथ एक-एक करके दोबारा चुदाई की जिससे वह बहुत खुश हुई और कहने लगी हम तीनों सिर्फ तुम्हारे साथ ही संभोग करेंगे। तुमने हम तीनों की अच्छे से चुदाई की है। उसके बाद हम चारों वही सो गए। जब हम सुबह उठे तो देखा कई लड़के लड़कियां हॉल में ही नंगे पडे थे। जिससे प्रतीत होता था कि रात भर उन्होंने एक दूसरे के साथ अच्छे से चुदाई की है। इस बात से हम चारों बहुत ही खुश थे। अब सुबह मैं अपने घर पहुंचा। तैयार होकर मैं ऑफिस के लिए निकल पड़ा। मैं ऑफिस में पूरे दिन बस यही सोच कर खुश होता रहा। कैसे मैंने रात में तीनो को चोदा। जब भी मैं ऑफिस से घर लौटता तो वह तीनों मुझे छत से हाथ हिलाती। और इशारा करती अगली बार कब मिल रहे हैं।