दिल की बात समझे आशिक

दिल की बात समझे आशिक

Antarvasna, kamukta: कुछ समय पहले ही तो मेरी बहन की शादी हुई थी और सब लोग बहुत खुश थे लेकिन अचानक से उसकी मृत्यु के बाद सब कुछ बदल चुका था। मेरे जीवन में भी अब पूरी तरीके से बदलाव आ चुका था मेरे माता-पिता चाहते थे कि मैं अपनी बहन के परिवार को संभाल लूं लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहती थी परंतु मेरे पास भी शायद कोई दूसरा रास्ता नहीं था इसलिए मुझे अपनी बहन के परिवार को संभालना पड़ा। मेरी शादी जब संजय के साथ हुई तो मेरा जीवन जैसे पूरी तरीके से बदल चुका था मैंने अपने अरमानों का गला घोट कर आगे बढ़ने का फैसला किया और मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी थी। आकाश मेरी जिंदगी का बीता हुआ पन्ना था और अब मैं आगे बढ़ चुकी थी संजय मेरे जीजाजी थी लेकिन अब वह मेरे पति हो चुके थे और मैं ही घर का सारा काम संभालती थी।
संजय ने कभी मुझे वह प्यार और सम्मान दिया ही नहीं जिसकी मैं हकदार थी संजय हमेशा से ही मुझ पर हर बात के लिए गुस्सा रहते थे वह हमेशा ही मुझे कहते कि तुम्हारा ध्यान काम पर कभी होता ही नहीं है। एक सुबह संजय अपने काम पर निकल रहे थे कि तभी मैं संजय के लिए नाश्ता ले कर गई और जैसे ही मैंने दूध के गिलास को टेबल पर रखा वैसे ही दूध का गिलास नीचे गिर पड़ा संजय मुझे कहने लगे कि आशा तुम कभी ध्यान से काम करती ही नहीं हो। वह गुस्से में तिल मिलाते हुए ऑफिस चले गए मैंने उन्हें टिफन देने की कोशिश की लेकिन उन्होंने टिफिन भी नहीं लिया और कहने लगे कि तुम रहने दो। मैं संजय के इस व्यवहार से परेशान थी लेकिन मेरे माता-पिता ने मेरी शादी संजय से करवा दी थी इसलिए शायद मेरे पास और कोई भी रास्ता नहीं था सिवाय अपने दुखों मैं जीने का। मैं अपने दुख और तकलीफ में अकेले अकेले घुट रही थी और मुझे बहुत खराब महसूस होता क्योंकि कोई भी ऐसा नहीं था जो कि मुझे समझ सकता। आकाश मेरी जिंदगी से बहुत दूर जा चुका था और आकाश का साथ भी मेरे साथ नहीं था मैं हमेशा से ही इस बात के बारे में सोचती रहती कि क्या मेरी मुलाकात अब आकाश से हो भी पाएगी या नहीं क्योंकि मैं आकाश से माफी मांगना चाहती थी।
आकाश मुझसे बेइंतहा प्यार करता लेकिन मैंने उसे अपनी शादी के बारे में कुछ नहीं बताया परंतु मेरी भी कुछ मजबूरियां थी जिस वजह से मैंने आकाश को यह सब नहीं बताया था। मैं अपने जीवन से बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी थी और दिन-ब-दिन मेरी परेशानी बढ़ती ही जा रही थी मुझे कुछ समझ नहीं आता कि आखिर ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए क्योंकि मेरे पास किसी भी बात का कोई जवाब नहीं था। संजय का व्यवहार मेरे प्रति ठीक ही नहीं था और वह हमेशा ही मुझे डांटा करते, संजय की मां भी मुझसे अच्छे से बात नहीं करती थी उनका व्यवहार भी मेरे प्रति बिल्कुल वैसा ही था जैसा कि संजय का व्यवहार था। काफी समय बाद जब मैं अपने मायके गई तो मेरी मां मुझे कहने लगी कि आशा तुम बहुत ज्यादा दुबली पतली हो चुकी हो। मैंने मां से अपनी परेशानी की बात नहीं कही मैं नहीं चाहती थी कि उन्हें यह सब बात पता चले जिसकी वजह से वह लोग परेशान हो जाए इसलिए मैंने उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं बताया और ना ही मैं उन्हें इस बारे में कुछ बताना चाहती थी। मेरे चेहरे को शायद मेरी मां ने पढ़ लिया था और मेरी तकलीफ को समझ चुकी थी कि मैं कितनी ज्यादा तकलीफ में हूं परंतु मेरे पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था और ना ही मैं उन्हें कुछ बताना चाहती थी। मेरी मां शायद यह सब समझ चुकी थी और उन्होंने मुझे कहा कि आशा बेटा तुम कुछ दिनों तक हमारे साथ ही रहो। मैं चाहती थी कि मैं कुछ दिनों तक उनके साथ ही रहूं मैं जब अपनी दीदी की तस्वीर के सामने खड़ी थी तो मुझे अपनी दीदी का चेहरा याद आ रहा था और मैं यह सोचने लगी कि कैसे वह संजय के साथ अपना समय बिता रही थी क्योंकि जिस प्रकार संजय का व्यवहार और बर्ताव था वह बिल्कुल भी अच्छा नहीं था। मेरे साथ तो वह बिल्कुल भी अच्छे से नहीं रहते थे मेरी मां ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा आशा बेटा तुम क्या सोच रही हो और तुम आज अपनी दीदी की तस्वीर के सामने खड़ी होकर उसकी तस्वीर को क्यों ऐसे देख रही हो। मैंने अपनी मां से कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही दीदी की याद आ रही थी तो दीदी की तस्वीर देख रही थी मुझे दीदी की याद आने लगी।
जब मां को मैंने यह सब बताया तो मां कहने लगी कि बेटा मुझे भी कई बार तुम्हारी बहन की याद आती है और मैं सोचती हूं कि इतनी कम उम्र में ही उसका बीमारी से देहांत हो गया इस वजह से मुझे भी कई बार बहुत दुख और तकलीफ होता है। मैंने भी अपने दिल पर पत्थर रखकर अब आगे बढ़ने के बारे में सोच लिया है मां ने मुझे समझाया और मैं मां के साथ बैठी हुई थी पता ही नहीं चला कि कब शाम हो गई। पापा अपने ऑफिस से लौटे पापा ने अपने बैग को मेज पर रखा और मैंने पापा को पानी ला कर दिया तो पापा मुझे कहने लगे कि आशा बेटा तुम कब आई। मैंने पापा को कहा मैं तो सुबह ही आ गई थी और सुबह से मां और मैं साथ में ही थे पापा मुझे कहने लगे कि लेकिन आशा बेटा तुमने तो मुझे फोन ही नहीं किया। मैंने पापा को कहा पापा मैंने सोचा कि आपको सरप्राइस दूँ पापा भी मेरे चेहरे की तरफ देख रहे थे उन्हें भी शायद इसी बात की चिंता थी कि मैं अब बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी हूं। हालांकि उन लोगों ने मुझसे इस बारे में कोई भी बात नहीं की परंतु उन्हें यह सब पता चल चुका था कि मैं अपने जीवन में परेशान हूं मैं अपने मायके में ही थी उसी दौरान मुझे काफी लंबे अरसे बाद आकाश का फोन आया।
जब मुझे आकाश का फोन आया तो मैंने कभी उम्मीद भी नहीं की थी की आकाश मुझे कभी फोन करेगा लेकिन आकाश का फोन मेरे नंबर पर आया और मैंने आकाश से काफी देर तक बात की। आकाश से मेरी बात फोन पर होती रही आकाश ने मेरे हालचाल पूछे लेकिन आकाश भी शायद इन बातों को भूल कर अब अपने जीवन में आगे बढ़ चुका था। आकाश ने मुझे बताया कि उसने सगाई कर ली है मैंने आकाश को उसकी सगाई की बधाई दी लेकिन आकाश चाहता था कि वह मुझसे एक बार तो मिले। मैं जब आकाश से मिली तो मैंने आकाश को अपनी पूरी कहानी बताई आकाश को भी इस बात से बहुत धक्का लगा। आकाश मुझे कहने लगा कि आशा मैंने तो तुम्हें हमेशा बेवफा समझा लेकिन तुमने तो अपनी बहन के लिए अपने जीवन को ही पूरी तरीके से समर्पित कर दिया। आकाश कहने लगा आशा तुमने अपने जीवन में इतना बड़ा समझौता किया और मैं तुम्हें हमेशा बेवफा समझता है मुझे इस बारे में बिल्कुल पता नहीं था मुझे लगा कि तुमने मुझे हमेशा धोखे में ही रखा और तुमने अपने जीजा से शादी कर ली। मुझे अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था क्योंकि आकाश मेरी जिंदगी से दूर ही था लेकिन आकाश ने मेरा बहुत साथ दिया वह मुझसे बातें करने लगा। आकाश के दिल में भी मेरे लिए वह पुराना प्यार अभी भी बचा था जो पहले उसके दिल में हुआ करता था मुझे बहुत ही अच्छा लगता आकाश मुझसे फोन पर बातें किया करता आकाश की सगाई के लिए भी मैंने उसे बधाई दी थी और आकाश को कहा तुम अपने जीवन में अब आगे बढ़ जाओ मैं यही चाहती हूं। आकाश के मेरे जीवन में आने से मेरा जीवन बदलने लगा था आकाश से एक दिन में मिलने के लिए उसके घर पर गई तो मुझे लगा शायद हम दोनों के बीच पहले जैसा कुछ भी नहीं होगा लेकिन जब हम दोनों साथ में बैठे थे तो ना जाने मेरे अंदर क्यों एक अलग ही उत्तेजना जागने लगी और आकाश भी अपने आप को ना रोक सका।
आकश ने भी अपने बाहों में मुझे ले लिया जब आकाश ने मुझे अपनी बाहों में लिया तो आकाश मेरी जांघों को सहलाने लगा मुझे बहुत अच्छा लगने लगा मैं अपने अंदर की आग को रोक ना सकी। मै काफी समय से तडप रही थी उसे अब आकाश बुझा सकता था। मैंने आकाश के होंठों को चूमना शुरू किया मुझे बहुत अच्छा लगा जिस प्रकार से मैं आकाश के होठों को चूम रही थी और आकाश ने मेरे होठों का रसपान बहुत देर तक किया। आकाश ने मेरे कपड़े उतारते ही मेरे स्तनों को अपने मुंह में ले लिया वह मेरे स्तनों को बड़े अच्छे से अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करने लगा मुझे भी इस बात की खुशी थी और आकाश को भी इस बात की बहुत खुशी थी हम दोनों ही अब कंट्रोल से बाहर हो चुके थे। आकाश के लंड को मैंने बहुत देर तक अपने मुंह में लेकर चूसा आकाश का लंड मेरे गले के अंदर जाता तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो जाती और आकाश के साथ में सेक्स करने के लिए तैयार थी।
आकाश ने मुझे कहा मैं तुम्हारी चूत मे लंड को डाल रहा हूं आकाश ने अपने लंड को जैसी ही मेरी चूत के अंदर डाला तो मैं चिल्ला उठी और आकाश का लंड मेरी चूत के अंदर बाहर होने लगा मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई थी आकश के लंड को मैं अपनी चूत मे ले पा रही हूं। आकाश ने भी अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे धक्के मारे मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी आकाश ने जैसे ही मेरे दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखकर अब तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए मेरी चूतड़ों पर आकाश का लंड जिस प्रकार से टकरा रहा था उससे मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई। मैं ज्यादा देर तक अपने आपको रोक ना सकी मेरी चूत से गरम पानी बाहर आने लगा था और आकाश के लंड से भी अब उसका वीर्य बाहर निकलने को तैयार था जब आकाश का वीर्य मेरी चूत में गिरा तो मैंने आकाश को कहा आकाश आज तुमने मुझे खुश कर दिया है। आकाश को मैंने अपने और अपने पति संजय के बारे में सब कुछ बता दिया था इसलिए आकाश मेरी जरूरतों को पूरा किया करता।