दरवाजा खुला और भाभी चुद गई
Antarvasna, kamukta: रचना से मेरी शादी को एक वर्ष हुआ था मेरे लिए कभी भी सुंदरता मायने नहीं रखती थी रचना का व्यवहार बहुत अच्छा था और मुझे इस बात की भी खुशी बहुत थी की रचना से मेरी शादी होने के बाद मेरा प्रमोशन भी हो गया। सब कुछ मेरे जीवन में बहुत ही अच्छे से चल रहा था मेरी मां भी बहुत खुश थी और पिताजी भी मेरी शादी के बाद बहुत खुश थे। एक दिन हमारे दूर के रिश्तेदार घर पर आए उन्होंने रचना को कभी देखा नहीं था क्योंकि वह मेरी शादी में आ नहीं पाए थे और जब उन्होंने रचना को देखा तो उन्होंने रचना की सुंदरता को लेकर कुछ बात कर दी जिससे कि रचना को यह बात बहुत बुरी लगी। रचना मुझे कहने लगी कि आज मैं बहुत ज्यादा दुखी हूं मैं उस वक्त रचना की बात को समझ नहीं पाया लेकिन जब मुझे इस बात का पता चला तो मैंने रचना को समझाया और कहा तुम बेवजह ही उनकी बातों को अपने दिल पर ले रही हो तुम्हे उनकी बातों को दिल पर नहीं लेना चाहिए लेकिन रचना के दिल पर उनकी बात लग चुकी थी जिससे की रचना अब सिर्फ सुंदर दिखना चाहती थी।
मैं रचना को कई बार समझाता था लेकिन रचना ना जाने कितने प्रकार के बाजार में बिकने वाले प्रोडक्ट घर ले आई थी। मैं रचना को हमेशा कहता कि रचना तुम्हारा दिल बहुत अच्छा है और बाहरी सुंदरता मेरे लिए कभी मायने नहीं रखती लेकिन रचना के सर पर तो जैसे भूत सवार था कि उसे अब सुंदर दिखना है और उसके लिए उसने ना जाने क्या कुछ नहीं किया। मैं एक कंपनी में मैनेजर हूं लेकिन रचना के इस जुनून के चलते मेरे बहुत पैसे खर्च होने लगे थे। एक दिन मैंने रचना को यह बात कही तो रचना को यह बात बुरी लगी और इस बात से हम दोनों के बीच अब कई बार झगड़े हो जाया करते थे। यह बात जब मेरे पापा मम्मी को पता चली तो उन्होंने रचना से इस बारे में बात करने की सोची और उस दिन मेरी छुट्टी थी तो मैं घर पर ही था हम सब लोग साथ में बैठे हुए थे क्योंकि हमारा परिवार छोटा परिवार ही है घर में हम सिर्फ 4 सदस्य हैं और मेरी बहन की शादी को भी 5 वर्ष हो चुके हैं।
पापा मम्मी ने रचना को समझाया कि तुम्हारी सुंदरता हमारे लिए कभी मायने रखती ही नहीं थी तुम्हारे व्यवहार को देखते हुए हमने सुरेश की शादी तुमसे करवाई थी लेकिन रचना के सर पर ना जाने क्या भूत सवार था कि वह किसी की बात भी सुनने को तैयार नहीं थी। एक दिन उसकी सहेली ने उसे किसी प्रोडक्ट के बारे में बताया तो वह भी वह प्रोडक्ट घर पर ले आई मैंने रचना को कहा रचना तुम्हारे सांवले रंग से मुझे कभी कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं और मेरा परिवार यही कहते कहते थक चुके थे लेकिन रचना हमारी बात मानने को तैयार नहीं थी और उसे इस बात का कोई भी फर्क नहीं पड़ता कि हम लोग उसके बारे में क्या सोचते हैं परंतु मुझे अब यह बात बुरी लगने लगी थी। मैंने रचना को एक दिन गुस्से में कह दिया कि तुम्हारे इस शौक को पूरा करने के चलते मैं अपनी सैलरी में से आधे से ज्यादा पैसे खर्च कर दिया करता हूं। रचना को यह बात बहुत बुरी लगी और रचना ने अब नौकरी करने के बारे में सोच लिया मैंने रचना को कई बार समझाया कि तुम्हें नौकरी करने की आवश्यकता नहीं है लेकिन रचना मेरी बात कहां सुनने वाली थी एक छोटी सी बात अब इतनी बड़ी हो चुकी थी कि हमने कभी सोचा भी नहीं था। मैं इसमें किसी को भी दोष नहीं देना चाहता था लेकिन रचना को भी तो यह समझना चाहिए लेकिन रचना कहां इस बात को समझना चाह रही थी जिस वजह से हम दोनों के बीच दूरियां ही पैदा हो रही थी और हम दोनों एक दूसरे से दूर होते जा रहे थे। रचना एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने लगी थी क्योंकि शादी से पहले वह कंपनी में जॉब किया करती थी लेकिन शादी होने के बाद रचना ने फैसला किया कि वह जॉब छोड़ देगी इसलिए उसने जॉब छोड़ दी। अब हम दोनों के बीच की बढ़ती हुई दूरियां हम दोनों के रिश्ते में दरार पैदा करती जा रही थी मेरे मम्मी पापा भी इस बात से बहुत चिंतित थे उन्होंने रचना को कई बार समझाने की कोशिश की लेकिन वह किसी की भी बात को समझने को तैयार नहीं थी। हालांकि रचना से किसी को कोई परेशानी नहीं थी वह घर में सारी बातों को माना करती और जब भी मम्मी पापा को कोई जरूरत होती तो रचना हमेशा उनकी बातें सुना करती लेकिन उसके सर पर एक जुनून सवार था और वह हम दोनों के बीच एक दीवार खड़ी कर रहा था जिससे कि हम दोनों ही एक दूसरे से अलग हो चुके थे। हम दोनों अब एक दूसरे से कम बात किया करते मेरी बहन ने भी रचना को कोई बार समझाने की कोशिश की लेकिन रचना कहां किसी की बात सुनने वाली थी मैं उसे बहुत प्यार किया करता था मैंने रचना के रूप रंग पर कभी भी ध्यान नहीं दिया था मैंने हमेशा से ही रचना के व्यवहार से प्यार किया था जो कि अब बदलने लगा था।
रचना अब पूरी तरीके से बदल चुकी थी और स्थिति अब पूरी तरीके से बदल चुकी थी। एक बार मेरा दोस्त आकाश मेरे साथ ऑफिस में बैठा हुआ था हम दोनों लंच के वक्त साथ में बैठे हुए थे हालांकि मैं आकाश को कुछ बताना तो नहीं चाहता था लेकिन मैंने आकाश को इस बारे में बताया तो आकाश कहने लगा कि क्या तुमने रचना से बात नहीं की। मैंने आकाश को कहा मैंने रचना से बात की थी लेकिन वह कहां मेरी बात सुनने को तैयार है और वह मेरी कुछ भी बात मानती नहीं है अब वह नौकरी भी करने लगी है और उसका व्यवहार पूरी तरीके से बदल चुका है। इस बात से आकाश भी बहुत हैरान था आकाश ने मुझे कहा कि यदि मुझे तुम्हारी कुछ मदद करनी है तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं। मैंने आकाश को कहा तुम्हारे कहने से भी कोई फायदा नहीं होने वाला है क्योंकि अब रचना पूरी तरीके से बदल चुकी है और वह पहले जैसी बिल्कुल भी नहीं रही उसके स्वभाव में परिवर्तन आ चुका है और मैं इस बात से इतना ज्यादा परेशान हो चुका हूं कि हम दोनों के बीच दरार पैदा होने लगी है।
आकाश ने मुझे कहा कि तुम चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा परंतु मुझे उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी। हम दोनों के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था ना तो हम दोनों की जिंदगी अच्छे से चल पा रही थी और ना ही मेरे और रचना के बीच सेक्स संबंध हो पाते थे हम दोनों की सेक्स लाइफ पर भी इस बात का बुरा असर पडता था। रचना अपने जुनून के लिए इतनी पागल थी उसे कभी इस बारे में बात करो तो वह मुझसे गुस्सा हो जाए करती हालांकि मैं यह सब भूलकर अब आगे बढ़ चुका था। उसी दौरान पड़ोस की एक भाभी जो मुझे बड़ी पसंद थी जब मुझे उनके और उनके पति के बीच के रिश्तो के बारे में पता चला तो मैंने दोनों के बीच मे कूदने का फैसला कर लिया। मैं दोनों के बीच में दीवार बन चुका था भाभी जी का मेरे प्रति ज्यादा ही आकर्षण था सब कुछ बदलता जा रहा था। जब भाभी जी ने मुझे कहा मैं रात को दरवाजा खुला रखूंगी तुम घर पर आ जाना। रात के वक्त मे भाभी जी के घर पर गया उस वक्त घर पर कोई भी नहीं था भाभी जी के कमरे का दरवाजा खुला था वह नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेटी हुई थी। मैं सीधा ही उनके बिस्तर में जाकर उनके बगल में लेट गया और उनके बदन को मैंने महसूस करने लगा मेरे अंदर की आग बढ़ने लगी थी मेरी आग इतनी ज्यादा बढ़ने लगी मैंने भाभी जी के होंठों को चूमना शुरू किया और उन्हें कहा भाभी जी आपके होंठ बहुत बड़े रसीले हैं। वह कहने लगी तुम इसको अपना बना लो मैंने फैसला कर लिया मैं भाभी की चूत को मार कर ही रहूंगा। मैंने जैसे ही अपने लंड को बाहर निकाला भाभी ने उसे अपने हाथ में लिया और उन्होने कहा आपका लंड तो बड़ा ही मोटा है। मैंने उन्हें कहा आप इसे अपनी चूत के अंदर समा लीजिए।
उन्होने मुझे कहा पहले आपके लंड को मुझे अपने मुंह में लेने दीजिए। जब उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे बड़ा आनंद आने लगा मुझे बहुत ही खुशी हो रही थी जिस प्रकार से मैं और भाभी जी एक साथ एक ही बिस्तर पर लेटे हुए थे वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर बड़े अच्छे से चूस रही थी। उन्हें मेरे लंड को चूसने में बड़ा ही आनंद आ रहा था बहुत देर तक उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसा जब मेरे लंड से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा तो उन्होंने मुझे कहा मै रह नहीं पा रही हूं। उन्होंने अपने दोनों पैर को खोला उनकी चूत के बीच में से जब मैंने अपने लंड को डाल तो उनकी वह चिल्ला उठी। उन्होंने मुझे कहा आप मुझे अपनी बाहों में भर लीजिए मैं उनसे कसकर लिपट गया और अपने लंड को आगे पीछे करने लगा।
मेरे धक्के जिस प्रकार से उनके बदन को हिला रहे थे उससे बहुत गर्मी पैदा हो रही थी उनकी चूत से पानी निकलता जा रहा था उनकी चूत से निकलता हुआ पानी मुझे मजबूर कर रहा था कि मैं उनकी चूत का भोसडा बना दूं और मैंने उनकी चूत का भोसडा बना दिया जब मैंने अपने वीर्य को भाभी जी की चूत में गिराया तो मुझे नहीं पता था कि उनकी गांड भी मै मार पाऊंगा। उन्होंने मेरे लंड को खड़ा कर दिया मैंने उनकी गांड भी मारनी शुरू की। मैंने अपने लंड पर तेल की मालिश की हुई थी जिससे की भाभी जी की गांड के अंदर बाहर लंड आसानी से चला जाता मैं लगातार तेजी से उनकी गांड के मजे लेता। उनकी गांड से ज्यादा ही गर्मी बाहर निकलने लगी उन्होने कहा मैं अब झडने वाली हूं तुम अपने माल को अंदर गिरा दो। जब उन्होंने यह कहा तो मैंने अपने वीर्य को उनकी गांड के अंदर गिरा दिया। उन्हें बडा मजा आया वह कहने लगी आगे भी आपको मैं बुलाती रहूंगी दरवाजा आपके लिए हमेशा खुला रहेगा। रचना के सर पर अभी भी पागलपन सवार था और भाभी जी मेरी खुशियों का ध्यान रखा करती।