Antarvasna, kamukta: घर की आर्थिक स्थिति बिल्कुल भी ठीक नहीं थी जिस कारण मुझे नौकरी की तलाश में शहर आना पड़ा। हम लोग गांव में खेती-बाड़ी कर के गुजारा कर रहे थे लेकिन अब मैं शहर आ चुका था शहर में एक दुकान में मुझे नौकरी मिली वहीं पर मैं काम करने लगा। मेरी तनख्वाह ज्यादा तो नहीं थी लेकिन फिर भी मेरा गुजारा चल ही जाता था मैं दुकान में ही सोया करता था और जो भी पैसे मेरे पास आते वह मैं अपने घर भिजवा दिया करता था। मेरे ऊपर ही अब घर की सारी जिम्मेदारी आ चुकी थी क्योंकि मेरे पिताजी भी बीमार रहने लगे थे और उनकी दवाई के खर्चे के लिए मुझे ही घर पर पैसे भिजवाने पढ़ते थे। एक दिन मैं दुकान में काम कर रहा था उस दिन दुकान में काफी ज्यादा भीड़ थी और दुकान में मैं ही अकेला था इसलिए दुकान का काम संभालना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल हो गया था लेकिन जैसे कैसे मैंने उस दिन दुकान का काम संभाल लिया। शाम के वक्त जब दुकान के मालिक आए तो वह मुझे कहने लगे कि अविनाश आज मुझे आने में देर हो गई कहीं कोई परेशानी तो नहीं हुई।
मैंने उन्हें कहा साहब आज बहुत ही ज्यादा भीड़ थी लेकिन मैंने जैसे-तैसे काम संभाल लिया था। उन्होंने मुझे कुछ पैसे बख्शीश के तौर पर दिए मेरी ईमानदारी से वह बहुत ही ज्यादा खुश रहते थे इसलिए अक्सर मुझे वह पैसे दे दिया करते थे। एक बार मुझे कुछ पैसे की जरूरत थी तो उन्होंने मुझे पैसे भी दिए थे और कहा कि यदि तुम्हें और पैसो की जरूरत हो तो तुम मुझसे मांग लेना। मुझे जब भी पैसे की कुछ आवश्यकता होती तो मैं उनसे मांग लिया करता लेकिन अब शायद मेरा इतने पैसों में गुजारा नहीं चलने वाला था इसलिए मैं अब काम की तलाश में था। मैं किसी ऐसे काम की तलाश में था जिससे मुझे कुछ ज्यादा पैसा मिले लेकिन फिलहाल तो मुझे कहीं कुछ ऐसा काम नहीं मिला था। मैं कुछ समय के लिए अपने घर चला गया मैं जब अपने गांव गया तो गांव में मैंने देखा कि मेरे पिताजी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब रहने लगी है मैं बहुत ही ज्यादा परेशान हो चुका था लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ ठीक होता जा रहा था। एक दिन मैंने अपने पिताजी से कहा कि आप मेरे साथ शहर रहने के लिए आ जाइए लेकिन वह लोग शहर नहीं आना चाहते थे।
गांव में अब खेती से भी उतना नहीं हो पाता था इसलिए मैंने उन्हें अपने पास बुला लिया वह मेरे पास कोलकाता आ गये। जब वह कोलकाता आए तो अब वह मेरे साथ ही रहने लगे थे मैं इस बात से काफी खुश था और मैं किसी दूसरी जगह भी काम करने लगा था लेकिन मुझे यह तो पता चल चुका था कि इतने पैसों में मेरा गुजारा चलने वाला नहीं है इसलिए मैंने अपनी मेहनत के बलबूते अपनी आगे की पढ़ाई करने की सोची। मैं गांव में 12वीं तक पढ़ा था लेकिन उससे आगे मैंने अब पढ़ने की सोची और मैंने अपने आगे की पढ़ाई पूरी कर ली। मेरा ग्रेजुएशन पूरा हो चुका था और मैं उसके मुताबिक अब नौकरी की तलाश में था मुझे एक कंपनी में नौकरी मिली वहां पर मैं पैसे का हिसाब देखा करता था। कंपनी इतनी ज्यादा बड़ी नहीं थी लेकिन मुझे तनख्वाह ठीक-ठाक मिल जाती थी इसलिए मैं वहां पर काम करने लगा। मेरे जीवन में सब कुछ ठीक होने लगा था मेरे माता-पिता मेरे साथ ही रहते थे और मैं उनकी देखभाल भी कर पा रहा था। एक दिन मेरे पिताजी कहने लगे कि अविनाश बेटा अब तुम भी कोई अच्छी सी लड़की देख कर शादी कर लो। उस दिन मेरी मां भी मेरे साथ ही बैठी हुई थी हम सब लोग साथ में बैठे हुए थे तो मैंने मां से कहा मां अभी तक तो मैंने इस बारे में कुछ सोचा नहीं है पहले मैं अपने जीवन में कुछ अच्छा कर लूं उसके बाद ही मैं इस बारे में सोचूंगा। मां कहने लगी कि बेटा अब तो सब कुछ ठीक होने लगा है अब तुम अच्छी नौकरी भी करने लगे हो और तुम्हारे पिताजी भी अब पहले से ज्यादा ठीक हो चुके हैं सब कुछ तो अब ठीक होने लगा है। मैंने उन्हें कहा कि लेकिन फिर भी मैं अभी शादी नहीं करना चाहता हूं मुझे थोड़ा समय चाहिए। मैं चाहता था कि थोड़े समय बाद मैं शादी करूं इसलिए मैंने उनसे समय मांगा और मैं अपने काम पर पूरा ध्यान देने लगा। मेरे ऑफिस में ही मेरे कई दोस्त बन चुके थे क्योंकि मुझे वहां काम करते हुए करीब एक वर्ष से ऊपर हो चुका था इस एक वर्ष में मैंने अपनी ईमानदारी के बलबूते अपने ऑफिस में प्रमोशन भी पा लिया था। सब कुछ बहुत ही अच्छे से चल रहा था और मेरे जीवन में अब किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी मैं अपना घर लेने के लिए भी पैसा जोड़ने लगा था। मैं जो भी पैसा बचाता वह मैं अपने बैंक खाते में जमा कर दिया करता और कुछ पैसा अपनी मां को घर खर्चे के लिए दे दिया करता।
धीरे-धीरे अब सब कुछ ठीक होने लगा था तो मैंने भी अब घर लेने के बारे में सोच लिया था और मैंने एक छोटा सा घर ले लिया। मैं काफी खुश था कि मैं अपनी मेहनत के बलबूते कोलकाता में एक छोटा सा घर ले पाया। जिस जगह मैंने घर लिया था हमारे बिल्कुल पड़ोस में एक भाभी रहती थी उनका नाम आशा है। आशा भाभी के पति बैंक में नौकरी करते है और आशा भाभी दिखने में बहुत ही सुंदर है उनके बच्चे नहीं थे जिस वजह से उन्होंने अपने फिगर को पूरी तरीके से मेंटेन किया हुआ था और अक्सर वह मुझे देखा करती। जब भी वह मुझे देखती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता एक दिन मैंने उन्हें कहा भाभी आप मुझे ऐसे क्या देखती है तो वह मुझे कहने लगी कभी तुम घर में आओ। उनके कहने का मतलब मै समझ चुका था एक दिन मैं उनके घर पर चला ही गया जब मैं उनके घर पर गया भाभी मुझसे कहने लगी मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती हूं और मेरे पति मेरी इच्छा पूरी नहीं कर पाते हैं।
मैंने उन्हें कहा लगता है मुझे आज आपकी इच्छा पूरी करनी ही पड़ेगी उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी उन्होंने मेरे सामने अपने कपडे उतार दिए और कहने लगी आज तुम मेरी इच्छा को पूरा कर दो। मैंने उन्हें कहा क्या मैं आपकी इच्छा को पूरा कर दूंगा। मैंने उन्हें कहा चलो तो फिर हम लोग बेडरूम में चलते हैं हम लोग बेडरूम में चले आए जब मैंने उनके बदन को महसूस करना शुरू कर दिया तो मेरे अंदर गर्मी बढ रही थी। उनको बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा था जब मैंने उनके स्तनों को अपने मुंह के अंदर लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे और भी ज्यादा मजा आने लगा और उन्हें भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। वह मुझे कहने लगी तुम तो कमाल के हो मैंने उन्हें कहा भाभी अभी तो मैं आपको जन्नत दिखाता हूं और यह कहते ही मैंने जब उनके होंठों को चूमना शुरू किया तो वह मचलने लगी और मैं उनके स्तनों को अपने हाथों से दबा रहा था मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे उनकी चूत से पानी निकलने लगा है वह पूरी तरीके से तड़प उठी थी। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत के अंदर डाल दो। लेकिन उन्होने अपने मुंह के अंदर लंड को लेना शुरू कर दिया था मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था क्योंकि वह जिस प्रकार से मेरे लंड का रसपान कर रही थी उससे मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रहा था और मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था मेरे अंदर की गर्मी तो बढ़ ही चुकी थी और मैं चाहता था कि बस किसी भी तरीके से मैं उनकी चूत कि खुजली को मिटा दूं। मैंने उनकी चूत को चाटना शुरु कर दिया था कुछ देर तक मैं उनकी योनि का ऐसे ही चाटता रहा लेकिन वह चाहती थी कि हम दोनों ही सेक्स के मजे ले और मैंने ऐसा ही किया जब उनकी चूत से पानी निकलने लगा तो वह मेरे लंड के लिए तड़पने लगी थी और मुझे कहने लगी तुम जल्दी से मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा कर मेरी खुजली को मिटा दो।
मैंने उनकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया जब मैंने अपने मोटे लंड को उनकी योनि के अंदर डाला तो वह जोर से चिल्ला कर मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। अब मैंने भी उनकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करना शुरू कर दिया था उनकी गर्मी में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही थी और उनकी गर्मी इतनी अधिक बढ़ चुकी थी कि वह बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रही थी। मैंने भी उनके दोनों पैरों को आपस में मिला लिया जब मैंने ऐसा किया तो वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई और उसके बाद तो मैं उन्हें लगातार तीव्रता से धक्के देने लगा।
मैं उन्हें जिस तरह चोद रहा था उससे वह और भी ज्यादा मजे मे आने लगी और उन्हें भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था लेकिन अब मैंने उनकी स्तनों को दबाना शुरू कर दिया था। उनके दोनों पैरों को मैंने खोल लिया था जिससे कि वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी मैंने उन्हें इतनी तेज गति से धक्के देने शुरू कर दिए थे कि बहुत जोर से चिल्लाए जा रही थी और मुझे कहती कि जानेमन और भी तेजी से चोदो कितने समय बाद किसी का मोटा लंड मेरी चूत में जा रहा है यह सुनते ही मैंने उन्हें कहा कि क्या आपने इससे पहले भी किसी के लंड को अपनी चूत में लिया है तो वह कहने लगी यहां आस पड़ोस में तो मैंने कई लोगो के लंड लिए हैं लेकिन तुम्हारे जैसा लंड मैंने पहली बार ही देखा है और तुम्हारे लंड को लेने में मुझे बहुत आनंद आ रहा है मुझे लग रहा है कि बस तुम मुझे ऐसे ही चोदते जाओ लेकिन थोड़ी ही देर बाद मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह खुश हो गई और मैं उसके बाद अपने घर लौट आया।