चाची- अच्छा.. ठीक है.. सामने वाली आंटी मेरी अच्छी दोस्त हैं.. इसीलिए उसने सिर्फ़ मुझसे बात की.. सोचो अगर तुम्हारे अंकल को इस बात का पता चल गया होता तो?
मैं- चाची.. अब आगे से नहीं करूँगा..
चाची- फिर से झूठ.. ऐसे कहो कि आगे से खिड़की और दरवाजा बंद कर के करोगे.. क्योंकि मुझे पता है कि तुम आख़िर मर्द हो.. समझे…!
मैं- जी चाची..
फिर वो खाना निपटा कर उठीं और सब प्लेट्स वगैरह टेबल से उठा कर रसोई में रखने लगीं। मैं भी उनका हाथ बटाने लगा और जब सब ख़त्म हो गया.. तब मैंने आंटी से कहा।
मैं- चाची.. एक बात पूछूँ?
चाची- हाँ पूछ सन्नी..
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मैं- चाची आप मुझसे नाराज़ तो नहीं है ना..
चाची- हम्म.. थोड़ी सी डिस्टर्ब तो हुई थी, लेकिन नाराज़ नहीं हूँ।
मैं- थैंक्स, आंटी कैन आई हैव ए टाइट हग फ्रॉम यू?
चाची- ओके कम..
फिर मैं चाची से ज़ोर से गले लग गया और उन्हें कस कर अपने में समेट ही लिया।
यह मेरा पहली बार था जब मैं किसी औरत के गले लगा था।
मैंने अपने हाथ आंटी के पीछे कन्धों से लेकर चाची के चूतड़ों तक फेरने लगा।
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आंटी अब मुझे शायद समझ रही थीं.. वो भी मुझसे मानो एकदम टाइट सटी हुई थीं।
फिर जैसे ही उन्हें कुछ समझ आया.. वो तुरन्त मुझसे दूर हो गईं।
उन्होंने मुझे देखा और आँखें मुझसे ना मिलाकर वो अपने काम में लग गईं और मुझसे कहा- जाओ तुम जा कर सो जाओ..
मैं वहाँ से अपने कमरे में चला गया। लेकिन मैं अपनी चाची को अपनी फैंटेसी से फिर चोद रहा था और मुझे लगा कि वो बाहर जा रही है..
तो मैं भी उनके पीछे पीछे चल निकला और दरवाजे की आड़ में से मैंने देखा कि वो उस आंटी से बात कर रही हैं।
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मैं उनकी बातें सुनने लगा।
वो आंटी पूछ रही थीं- क्या.. तूने अपने भतीजे से बात की या नहीं?
तो आंटी ने जवाब दिया- वो तो बेचारा डर ही गया.. फिर मैंने उसे समझाया कि यह सब सामान्य बात है पर आगे से ध्यान रखा करो.. फिर वो कुछ ठीक लगा..
फिर सामने वाली आंटी ने कहा- जो भी हो पर तेरे भतीजे का हथियार बहुत बड़ा है.. एक बार तो लगा कि बस उसे देखती ही रहूँ.. पर फिर अपनी इज़्ज़त का ख़याल आया और मैं रह गई..
इस पर मेरी आंटी ने कहा- क्या तुम सच कह रही हो?
यह सब बातें सुनकर मुझे लगा कि अब चाची भी मेरे लंड को देखने के लिए आतुर होगीं और अगर वो एक बार मेरा लंड देख लें.. तो शायद मेरा काम बन सकता है।
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फिर मैं अपने कमरे में आ गया और चाची को पटाने का प्लान बनाने लगा।
इतने में चाची मेरे कमरे में आईं और कहा।
चाची- अरे सन्नी.. तुम अब तक सोए नहीं.. क्या सोच रहे हो? क्या तुम अब भी उस बात को लेकर परेशान हो? देखो मैंने सामने वाली आंटी से अभी बात की है और उन्हें समझा दिया है.. तुम चिंता मत करो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो।
मैं- थैंक्स चाची..
फिर इस बार मैं चाची से बिना पूछे ही उनके गले लग गया और उनको पिछले बार से भी ज़ोर से गले लगा लिया।
शायद इस बार आंटी अपनी पैरों की ऊँगलियों पर भी उठ कर ऊँची हो गई थीं।
मैं उन्हें सहलाने लगा था.. लेकिन वो भी अब मेरे इस व्यवहार पर शक कर रही थीं..
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लेकिन इस बार वे कुछ बोली नहीं और चुपचाप मुझसे सटी रहीं।
मैं अपने दोनों हाथों से उनके दोनों कंधे पकड़े और ज़ोर से दबाया और फिर दोनों हाथ चाची के ठीक ब्लाउज पर ले जाकर उनके ब्लाउज को दोनों हाथों से दबाया..
इसलिए उनके मम्मे मेरे सीने में और भी धँस गए।
अब वो मुझे गौर से देखने लगीं.. लेकिन अब भी उन्होंने कुछ कहा नहीं.. वो मुझे देख रही थीं।
लेकिन मैंने उन्हें अनदेखा करके अपने दोनों हाथ नीचे ले जाते हुए उनकी कमर को सहलाते हुए अपने दोनों हाथ उनके चूतड़ों पर रख दिए और उतने में ही दरवाजे की घन्टी बजी।
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अचानक आंटी को जैसे होश आया और वो खुद को मुझसे छुड़ा कर वहाँ से फटाफट निकल गईं।
कहानी जारी है। hamari kahaniya