जहाँ तक मुझे पता है.. उनके मन में भी मेरे बारे में शायद कोई गंदा ख़याल नहीं होगा।
तकरीबन एक महीना बीत गया था कि एक दिन मैं अपने कमरे में एकदम नंगा हो कर मुठ्ठ मार रहा था और ब्लू-फिल्म देख रहा था..
कि मुझे तभी ख़याल आया कि मैं तो खिड़की के सामने खड़ा हूँ और मैंने नोटिस किया कि सामने वाली आंटी मुझे देख रही हैं।
मेरे तो पसीने छूट गए.. क्योंकि मैं पहली बार ऐसा काम करते हुए पकड़ा गया था।
ऐसे वक्त पर सभी को डर लगता है।
मैंने फटाक से खिड़की बंद की और अपने कमरे में छुप कर बैठ गया।
शाम को वो आंटी घर आईं.. उन्होंने मुझे पुकारा पर मैंने उनके सामने जाना ठीक नहीं समझा.. क्योंकि वो आंटी मेरी चाची को अच्छे से जानती थीं।
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देर रात जब 9 बजे चाचा घर लौटे तो मैं अपने कमरे से बाहर निकला और फटाफट उनके साथ डिनर निपटा कर वापस अपने कमरे में चला गया और जा कर सोचने लगा कि उस आंटी ने चाची को कुछ बताया भी होगा या नहीं.. पर मैं कुछ नहीं समझ पाया।
दूसरे दिन भी मैं देर से उठा.. बाहर देखा तो कोई नहीं था। मैं नहा-धो कर कॉलेज के लिए निकल गया।
जैसे ही मैंने घर लॉक किया तो देखा कि वो आंटी मेरे सामने थीं और अपना बरामदा साफ़ कर रही थीं..
लेकिन मुझे देख कर वो अपने घर में अन्दर चली गईं और तेजी से अपना दरवाजा बंद कर दिया।
शाम को मैं घर लौटा तो भी सब सामान्य था.. मुझे यकीन हो गया कि इन आंटी को बस गुस्सा आया है.. उन्होंने मेरी चाची को कुछ नहीं बताया।
उधर घर में चाची भी सामान्य थीं और चाचा भी.. मैं अब बिंदास था..
ऐसे ही दो दिन निकल गए.. मैं अपने काम में मस्त था.. लेकिन अब ध्यान रखने लगा था कि कोई मुझे पकड़ ना ले।
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फिर उस दिन शाम को चाचा का कॉल आया कि वो सर्जरी में व्यस्त हैं उन्हें इसी वजह से देर हो जाएगी..
तो चाची ने मुझे डिनर के लिए बुलाया और मैं डिनर टेबल पर आ गया। मैं रसोई में उनकी मदद करने लगा और मैंने सारा खाना टेबल पर सज़ा दिया।
आंटी आज खुश लग रही थीं और मैं भी कि मैं बच गया हूँ।
फिर हम खाना खाने लगे और बातें करने लगे।
चाची- खाना कैसा बना है.. सन्नी?
मैं- बहुत अच्छा.. आपके हाथ से कभी खाना बुरा बनता ही नहीं…
चाची- अच्छा.. तो फिर एक रोटी और लो..
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मैं- नहीं आंटी.. अभी पेट भर चुका है।
चाची- अच्छा सन्नी.. एक बात तो बताओ..
मैं- हाँ आंटी..?
चाची- तुममें अकल है कि नहीं?
मैं- क्यूँ आंटी.. मैंने क्या किया है?
चाची- तुम पड़ोस वाली आंटी के सामने क्या कर रहे थे?
मैं तो चौंक ही गया.. मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था.. कि क्या बोलूँ और क्या करूँ..
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फिर मैंने इतने में सोच लिया कि आंटी से बहाने करने में कोई फायदा नहीं.. वो मुझसे ज़्यादा होशियार हैं। मेरी बहानेबाजी को तो पकड़ ही लेंगी..
तो मैंने अपनी गर्दन शर्म से नीचे झुका ली.. मुझे पता था कि अब वो कुछ नहीं कहेगीं.. क्योंकि मैं परिवार में एक ही लड़का था और वो भी मुझे बेटे जैसे मानती थीं।
मैं शर्म से नीचे देख रहा था और कोई जवाब देने की कोशिश नहीं की।
चाची- अरे बोलते क्यूँ नहीं.. तुम नहीं जानते कि तुमने क्या किया या फिर मैं बताऊँ कि तुमने क्या किया?
मैं- सॉरी चाची.. अब आगे से ऐसा नहीं करूँगा..
चाची- देखो सन्नी.. मुझे पता है कि तुम जवान हो गए हो और यह सब लड़के करते ही हैं.. लेकिन हमारी आज सोसाइटी में कुछ इज़्ज़त है.. तुम ऐसे करोगे तो फिर हम सबको जवाब कैसे दे पाएँगे।
मैं- आई एम सॉरी चाची.. लेकिन मैं वो…
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