कोचिंग वाली दीदी की मम्मी
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मेरा नाम कुलदीप है। मैं आगरा का रहने वाला युवक हूं। क्या उस समय की बात है जब हमारे भाई की शादी की बात चल रही थी। लेकिन उन्हें कहीं लड़की पसंद ही नहीं आती थी या फिर उनका रिश्ता किसी वजह से वहां नहीं हो पाता था। उनकी उम्र भी 34 साल की हो चुकी थी। पहले तो वह शादी से भागते रहे परंतु घर वालों ने उन्हें किसी तरीके से मना ही लिया शादी के लिए आखिरकार वह शादी के लिए तैयार हो चुके थे। हमारे करीबी रिश्तेदारों ने कुछ लड़कियों की फोटो भैया के लिए भेजी थी। भैया को उनमें से एक लड़की पसंद आ गई। तो उन्होंने घर में सलाह मशवरा किया और आखिरकार उनसे बात पक्की हो गई। जैसे ही उनसे भैया की बात हुई तो जो हमारी होने वाली भाभी थी। उनके माता-पिता ने भैया को बाहर मिलने के लिए बुलाया। भैया ने यह बात मुझे भी बताई तो मैं भैया के साथ चला गया। जैसे ही मैं भैया के साथ गया। उन्होंने हमें उनके किसी मित्र की घर पर बुलाया था। जो कि हमारे पिताजी के भी मित्र ही थे। तो एक तरह से वह हम दोनों परिवारों से परिचित थे।
हम जैसे ही उनके घर पहुंचे। वह सब वहां बैठे हुए थे। हम दोनों भाई सोफे पर बैठ गए। हमारी होने वाली भाभी के पिताजी ने भैया से पूछा बेटा कहां नौकरी करते हो। तो भैया ने बताया मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता हूं। उन्होंने उस कंपनी का नाम भी बताया। उसके बाद उन्होंने और कुछ जानकारियां पूछी भैया से तो उन्होंने सब कुछ उन्हें बताया। अब उन्होंने भैया से कहा हम आपके पिताजी को फोन करके बता देंगे। हम लोगों ने वहां पर थोड़ा सा नाश्ता किया और थोड़ी चाय पी हम वहां से निकल गए अपने घर के लिए शाम को मेरे भाभी के पिताजी का फोन मेरे पिता के फोन पर आया। उनमें ना जाने क्या बात हुई। हमारे पिताजी थोड़ा कम ही बात किया करते थे। तो उन्होंने सिर्फ इतना बोला कल सुबह तैयार हो जाना। हमें कहीं जाना है अब हम लोग समझ चुके थे कि पिताजी किस बारे में बात कर रहे हैं।
अगली सुबह हम तैयार हो गए और पिताजी ने गाड़ी बुक करवाई थी। हम सब उस गाड़ी में बैठ कर चले गए। अब हम अपनी भाभी के घर पहुंचे। वह अपने घर के बाहर खड़े होकर हमारा इंतजार कर रहे थे। और हम जैसे ही वहां पहुंचे तो उन्होंने मेरे पिताजी को नमस्ते किया। हमें आदर सहित घर के अंदर ले गए। वहां बैठकर सब लोग आपस में बातें करने लगे तभी वह भी अंदर से हमारे लिए शरबत लेकर आई हमने भाभी को देखा तो उनकी उम्र करीबन 27 वर्ष की रही होगी। दिखने में हमारी भाभी एक नंबर की माल लग रही थी। हमारी तो नियत खराब हो रही थी। हमारा लंड खड़ा हो रहा था। किंतु हमने उसे बोला यह हमारे भाई की अमानत है। तो जाने दो हमारी भाभी के साथ उनकी एक सहेली भी आई हुई थी। वह शादीशुदा थी हमने उसे देखा उसके बड़े बड़े स्तन थे। लगता है उसके पति ने उस पर झूला झूला था। तभी तो इतने बड़े कर दिए थे कुछ ज्यादा ही बड़े लग रहे थे।
तभी भाभी जी के पिताजी ने भाभी का परिचय भैया से करवाया और बैठने को बोला भाभी सामने के सोफे पर बैठ गई। और उनकी सहेली भी वहीं पर उनके पास में बैठ गई। जैसे ही वहां बैठने के लिए झुकी तो उनके स्तन बाहर की तरफ झाकने लगे और वह इस तरह से प्रतीत हो रहे थे। जैसे बाहर ही ना निकल जाए हमारा तो बड़ा ही मन हो रहा था। उनको तो चुसने का क्योंकि वह एकदम गोरे गोरे बड़े-बड़े और गोल गोल थे। ऐसा लग रहा था उसमें अपने लंड को स्तनों के बीच लकीर में रगड़ते रहे। तभी उनके पिताजी बोले यह हमारी बेटी के मित्र हैं इनका नाम अनीता है। मैं तो बहुत खुश हो गया यह सुनकर क्योंकि मेरी पुरानी गर्लफ्रेंड का नाम भी अनीता ही था। हां भैया और भाभी की तो बात लगभग तय हो चुकी थी उनको दूसरे कमरे में भेजा वहां बात करने के लिए हम दोनों की बात हो गई और हम लोग अपने घर वापस आ गए।
हमने भैया से पूछा कैसा रहा भैया भाभी के साथ अनुभव वह बोलने लगा अनुभव हो तो क्या बहुत ही मजा आए। मैंने भी बड़ी उत्सुकता से पूछ ही लिया क्या मजे आए भैया वह कहने लगे अरे हमने तो उसे अंदर ही दबोच लिया चेक कर लिया कि तुम्हारी भाभी सील पैक है या नहीं आखिरकार हम भी पुराने खिलाड़ी हैं उसके बाद हमने उसके स्तनों का रसपान किया और उसकी चूत चाटा आए। सही है बड़े मजे लिया हमने तो उस कमरे में तभी मैंने बोला भैया जो उसके साथ में एक भाभी आई हुई थी हमें वह अच्छी लगी हमें उसको चोदना है। मेरा कहने लगे क्यों नहीं तू लेना मजे कौन तुझे मना करता है। वह समय नजदीक आ गया। जब भैया की शादियों की तैयारी होने लगी हम लोगों ने बहुत सारी शॉपिंग की और अब आखिरकार वह समय आ ही गया।
भैया की शादी के दिन हमने शेरवानी पहनी थी जिसमें हम बड़े ही डैशिंग लग रहे थे। जहां भाभी लोगों ने बंदोबस्त करवा रखा था शादी का वहां पर बारात पहुंच गई। सब लोग बारात के स्वागत के लिए खड़े थे जैसे ही बार आता अंदर गई। तो हम सारा तामझाम देख रहे थे कभी इधर जाते कभी उधर जाते हैं दोस्त बोलता है रे मुझे दारु पिला दे लेकिन मैं तो किसी और को ढूंढ रहा था। ढूंढते-ढूंढते हम उस कमरे में पहुंच गए जहां भाभी तैयार हो रही थी और हमने अनिता भाभी को भी देख लिया। इतने में भाभी ने हमसे पूछा अरे तुम यहां कहां घूम रहे हो। मैंने कहा भाभी कुछ काम था तो आप अपनी किसी सहेली को मेरे साथ भेज दीजिए मुझे यहां के बारे में जानकारी नहीं है। उन्होंने मेरे साथ अनिता भाभी को भेज दिया। और मैं अनिता भाभी को अपने साथ लेकर चला गया। वह बोलने लगी काम बताओ काम क्या है मैंने कहा मुझे आपसे ही काम है।
यह कहते-कहते मैंने उनको किस कर दिया और उनके होठों को भी काट लिया मैंने उनके होठों को छोड़ा ही नहीं वह कुछ बोल भी ना पाए और शर्माने लगी। हम उनके योनि का पानी में गिरने लगा था और उन्हें जोश आ गया था। उन्होंने भी आव देखा ना ताव और मेरे होठों को किस करने लगी। मैंने भी उनके सूट के अंदर से उनके स्तनों को बाहर निकाल दिया और चूसने लगा। मुझे इसी का इंतजार था और मैंने वह काम कर दिखाया। बहुत मजा आ रहा था जब मैं उसके बड़े-बड़े बूब्स का दूध पी रहा था। वह चिल्ला रही थी और जोर-जोर से बोल रही थी और तेज निकालो उसका दूध बहुत बड़े हो रखे हैं। हां मैंने उसकी सलवार पैंटी को उतार दिया उसकी चूत में थोड़े थोड़े बाल थे। उसका जिसमें बहुत ही मादक था। मैंने उसको कहा अनिता भाभी मैंने तुम्हारे जैसी सेक्सी और यौवन से भरी स्त्री नहीं देखी। बातें मत करो ज्यादा अपना काम करो और फिर चलते हैं। और वैसे भी एक्सपीरियंस वाली थी तो उसने मेरे लोड़े को दोस्तों शुरू कर दिया और बड़ी ही तेजी से अपने मुंह के अंदर बाहर करने लगी उसका पति भी उससे ऐसे ही करवाता होगा। और उसके बाद वह खुद ही घोड़ी बन गई और बोलने लगी चल अब शुरू हो जा और जल्दी से मेरी चूत की प्यास बुझा।
जिस को तू ने जगा दिया है जल्दी से कर अब देर मत कर। मेरा लौडा सख्त हो चुका था। उसके बाद मैंने उसकी गिली गिली चूत में धीरे धीरे अपने लंड को घुसाना लगा। कसम से क्या मजे हो रहे थे। उसकी आवाज की सिसकियां मेरे लोड़े को बोल रही थी और करो और करो और मैं धक्के के साथ उसको और आगे की तरफ धकेलता और वो दोबारा पीछे आती फिर मैं उसको आगे की तरफ धकेल देता ऐसा करते करते मेरे लंड और उसकी चूत से गर्मी निकलने लगी और उसी गर्मी के साथ ना जाने कब मेरा वीर्य पी निकल गया मालूम ही नहीं पड़ा। उसने मुझे बोला मेरी योनि से जो टपक रहा है उसको साफ करने के लिए कोई कपड़ा दो मैंने उसको अपना रुमाल लिया उसने मेरे रुमाल से मेरे वीर्य को उसकी योनि से साफ किया और फिर मैंने कहा मेरे लोड़े पर जो वीर्य लगा है। उसको कौन साफ करेगा उसने जल्दी से अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ते हुएऐ। अपने मुंह में लेकर मेरे माल को पी लिया जिसमें थोड़ा-बहुत उसका वीर्य भी मिला हुआ था। उसके बाद हम दोनों शादी में गए मेरी भाभी पूछने लगी इतनी देर तक कहां रह गई थी। अनिता भाभी ने बोला अरे कुछ ज्यादा ही काम था उसके बाद शादी संपन्न हुई। मैं तब से अनिता भाभी की चूत का आनंद लेता आ रहा हूं।